बुधवार, 6 अप्रैल 2011

और 'तुम' से 'आप' हो गए।


तुम भी जल थे
हम भी जल थे
इतने घुले-मिले थे
कि एक दूसरे से
जलते न थे।

न तुम खल थे
न हम खल थे
इतने खुले-खुले थे
कि एक दूसरे को
खलते न थे।

अचानक हम तुम्हें खलने लगे,
तो तुम हमसे जलने लगे।
तुम जल से भाप हो गए
और 'तुम' से 'आप' हो गए।

1 टिप्पणी:

Ravi Shriwastav ने कहा…

इतनी अच्छी दोस्ती को नजर किसकी लग गयी

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