रविवार, 21 मई 2023

एक शोक संवेदना! 😭



ओह.. तो तुम आखिर चले ही गये। बहुत दिनों से दिख नहीं रहे थे तो मन में तरह तरह की आशंकायें उठती थीं। कोई कुछ कहता कोई कुछ। किसकी बात पर भरोसा करते। याद आता है संभवतः दो तीन वर्षों पहले आपके दर्शन हुये थे। फिर तो आप एकदम से अदृश्य ही हो गये। हमने और कईयों से भी पूछा, खोज खबर ली उन्होंने भी आपको न देखने की इत्तिला दी। 


और कल खबर मिली कि आप हमेशा के लिए हमें छोड़ गये। और कोई आखिरी निशानी भी नहीं छोड़ी। सार्वजनिक जीवन को त्याग दिया। कहते हैं वे श्रेष्ठजन होते हैं जो अल्पायु होते हैं। और निसंदेह आप अपनी श्रेणी में श्रेष्ठतम थे। कई 'श्रेष्ठ जनों' को आपका जाना बहुत अखर गया है। हम तो ठहरे आम साधारण लोग। संतोष करना सीख गये हैं। मगर कुछ खास तो खासे बेचैन हैं।


ईश्वर आपको सद्गति दें। और इतना क्रूर भी न बने कि ऐसी अल्पायु में किसी की इहलीला समाप्त कर दें। हम भले आपके सानिध्य सुख से प्रायः वंचित रहे हों मगर हम इतने निष्ठुर और अनुदार भी नहीं कि आपके निर्वाण पर शोक संवेदना भी व्यक्त न करें। 


- आपका एक शुभ चिन्तक

बुधवार, 17 मई 2023

बागेश्वर धाम ( धीरेंद्र शास्त्री )


           पटना एयरपोर्ट से जब धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री निकलते है उस समय बीजेपी के नेता मनोज तिवारी इनका ड्राइवर बन जाते हैं । भीड़ के बीच मनोज तिवारी के किसी बात पर धीरेंद्र जी आदत के अनुसार SUV के डेस्क बोर्ड पर जोर से हाथ पटकते हुए किसी बालक की तरह खिलखिला कर हंसने लगते है । 

          एक टीवी चैनल में पत्रकार ने इस विषय पर जब जब मनोज तिवारी से पूछते है तब मनोज जी बताते हैं "SUV मे पीछे बैठे कोई सज्जन विरोध करने वालो पर चर्चा करते हैं, उसी विषय पर धीरेंद्र शास्त्री कहते है "जो समर्थक है ओ उत्तम है,जो विरोधी हैं ओ अतिउत्तम हैं" इतना कहकर जोर से हंसने लगते हैं । 

             मध्यप्रदेश के छतरपुर के पास एक छोटे से गुमनाम गांव "गढ़ा" से निकलकर एक पच्चीस वर्ष का युवा कथावाचक बिहार जैसे राज्य में आता है और दूसरे ही दिन आठ से दस लाख की भीड़ उमड़ पड़ती है, तो यह सिद्ध होता कि अब भी इस देश की सबसे बड़ी शक्ति उसका धर्म है। मैं यह इसलिए भी कह रहा हूँ कि इसी बिहारभूमि पर किसी बड़े राजनेता की रैली में 50 हजार की भीड़ जुटाने के लिए द्वार द्वार पर गाड़ी भेजते और पैसे बांटते हम सब ने देखा है। वैसे समय में कहीं दूर से आये किसी युवक को देखने के लिए पूरा राज्य दौड़ पड़े, तो आश्चर्य होता है । मेरे लिए यही धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री का सबसे बड़ा चमत्कार है।


       वह दस लाख की भीड़ किसी एक जाति की भीड़ नहीं है, उसमें सभी हैं। बाभन-ठाकुर,भुइंहार हैं, तो कोइरी कुर्मी भी, राजपूत हैं तो बनिया भी, यादव भी, हरिजन भी यह वही बिहार है जहां हर वस्तु को जाति के चश्मे से देखने की ही परम्परा सी बन गयी है ।

             स्वार्थी नेताओं तो बिखेरे गए, उस टूटे हुए बिहार को एक युवक पहली बार में इतना बांध देता है, तो यह विश्वास दृढ़ होता है कि हमें बांधना असम्भव नहीं है । राजनीति हमें कितना भी तोड़े, धर्म हमें जोड़ ही लेगा.।

      आयातित तर्कों के दम पर कितना भी बवंडर बतिया लें, पर यह सत्य है कि इस देश को केवल और केवल धर्म एक करता है । कश्मीर से कन्याकुमारी के मध्य हजार संस्कृतियां निवास करती हैं । भाषाएं अलग हैं, परंपराएं अलग हैं, विचार अलग हैं, दृष्टि अलग है, भौगोलिक स्थिति अलग है, परिस्थितियां अलग हैं, फिर भी हम एक राष्ट्र हैं तो केवल और केवल धर्म के कारण ।  धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री उसी धर्म की डोर से सबको बांध रहे हैं।

     कुछ लोग उनके चमत्कारी होने को लेकर उनकी आलोचना करते हैं। मैं अपनी कहूँ तो चमत्कारों पर मेरा अविश्वास नहीं। एक महाविपन्न परिवार से निकला व्यक्ति यदि युवा अवस्था में ही देश के सबसे प्रभावशाली लोगों में शामिल हो जाता है, तो इस चमत्कार पर पूरी श्रद्धा है मेरी... 


     धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री अपने समय के मुद्दों पर स्पष्ट बोलते हैं, यह उनकी शक्ति है। नवजागृत हिन्दू चेतना को अपने संतों से जिस बात का असंतोष था कि वे हमारे विषयों पर बोलते क्यों नहीं, धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री उस असन्तोष को शांत कर रहे हैं। यह कम सुखद नहीं...

     कुछ लोग धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री को रोकने के दावे कर रहे थे। मैं जानता हूँ, उन्हें ईश्वर रोके तो रोके, अब अन्य कोई नहीं रोक सकेगा... धीरेंद्र समय की मांग हैं। यह समय ही धीरेंद्र शास्त्री का है।

     मैं स्पष्ट मानता हूँ कि यह भारत के पुनर्जागरण का कालखंड है, अब हर क्षेत्र से योद्धा नायक निकलेंगे। राजनीति, धर्म, अर्थ, विज्ञान, रक्षा... हर क्षेत्र नव-चन्द्रगुप्तों की आभा से जगमगायेगा। देखते जाइये...

💐‼️जय श्री राम‼️🌺

🌸‼️जय हनुमान‼️🌼

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