बुधवार, 20 जनवरी 2016

जंगलों के उस पार.....

पत्थरों के शहर में ग़ज़ल गुनगुना रहा हूँ........
किन बेदर्द लोगोंको अपना दुःख  सुनारहा हूँ.......
पेड़ों से लिपटकर कोई कब तक रोये आख़िर.......
इसलिये अब जंगलों के उस पार जा रहा हूँ......

बुधवार, 6 जनवरी 2016

हाँ मैं असहिष्णु हूँ.....

हाँ मैं असहिष्णु हूँ.....
जब देश में आतंकी हमला करते हैं तब आमिर खान को डर नहीं लगता।

हाँ मैं असहिष्णु हो गया हूँ.....
जब बंगाल में हजारों का झुण्ड पुलिस स्टेसन और गाड़ियों में आग लगा देते हैं घरों में लूटपाट करते हैं तब कोई बुद्धजीवि अवार्ड वापसी नहीं करता।

हाँ मैं असहिष्णु हो जाता हूँ.....
जब संसद नहीं चले दिया जाता है सिर्फ एक परिवार को बचाने के लिए जो लगातार कितने दशकों से सिर्फ देश को लूटने का कार्य करते आये हैं।

असहिष्णुता का हद तो तब पार ही हो जाता है जब इस देश का दलाल मिडिया एकतरफा खबर दिखता है और जी करता है की इनके कान के निचे जम के थप्पड़ जड़ दिया जाये।

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