गुरुवार, 26 जुलाई 2012

बरसो रे मेघा बरसो......

सुख गये कुए , सुख गये तालाब
नहरों में पानी नही रहा
वाटर सप्लाई हुई बंद
पशु प्यासे , पक्षी प्यासे
प्यासा है दो हाथ , दो पैरो वाला इंसान
होठो पर आ रही पापड़ी
तन पसीने से तरबतर
सुखी है धरती सारी , कर रही त्राहिमाम
उस मजदूर पर रहम करो
जिसका होता सूरज से रोज टकराव
उस किसान पर रहम करो जो बैठा फसल की आस में
रहम करो उस व्यापारी पर
जो बैठा सुबह से शाम ग्राहक की आस में
बरसो इंद्र देवता, रहम करो अब आप
धरती कर रही त्राहिमाम और धरती पर रहने वाले भी कर रहे त्राहिमाम
बरसो इंद्र , हे बरसो इंद्र , अब तो बरसो इंद्र
इतना बरसो की गड्ढो में पानी भर जाए
नहरों में पानी आ जाए
तालाब पानी से लबालब हो
किसान खुशहाल हो
सबको मिले इस गर्मी से राहत
अब तो बरसो इंद्र , हे इंद्र अब तो बरसो

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