बुधवार, 15 सितंबर 2021

बस भूल जाता हूँ...

बस भूल जाता हूँ ... 

उठती है जब कोई तड़प सीने में 
कुछ लिखने जाता हूँ , 
तो भूल जाता हूँ ... 

बड़ी बेचैनी है, बड़ी यादें है किसी की 
किसी की याद लिखने जाता हूँ 
तो भूल जाता हूँ ... 

वो प्यारी बातें, वो मुलाकातें,
वो हसीन लम्हे लिखने जाता हूँ
तो भूल जाता हूँ...

वो लड़कपन वो सरारतें
वो बचपना लिखने जाता हूँ
तो भूल जाता हूँ

हाँ मैं अक्सर भूल जाता हूँ

अब तो सुबह घर से निकलता से हूँ 
शाम को घर जाना ही भूल जाता ....

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