गुरुवार, 7 अप्रैल 2011

दिल की हर धड़कन है तनहा


आज तो है रात तनहा, आज है यह दिन भी तनहा
मेरी हर आवाज़ तनहा, क्यों मेरे हैं जज़्बात तनहा
घर की हर दीवार तनहा, दिल की हर मुराद भी तनहा
दीए की लौ भी तनहा, पल-पल जलती हूं मैं तनहा
मेरी खामोशी भी तनहा, कैसे कहूं जुदाई भी तनहा
कल्पना भी आज तनहा, वास्तविकता भी मेरी है तनहा
बिन सपनों के हर पल तनहा, आज मेरे अश्क भी तनहा
सांसों की डोर भी तनहा, दिल की हर धड़कन भी तनहा
आज चारों ओर है तनहा, तुम भी तनहा हम भी तनहा
तेरे बिन ज़िंदगी है तनहा और मेरी तन्हाई भी तनहा।

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