१.संसद के माइक और फर्नीचर को फेंकना तथा तोड़ना
२.संसद में कामकाज नहीं होने देना
३.संसद के प्रांगण में जिंदाबाद -मुर्दाबाद के नारे लगाना
४.पैसा लेकर प्रश्न पूछना
५.सांसदों की खरीद फ़रोख्त करना
६.नोट से बहुमत खरीदना
७.संसद में अनुपस्थित रहना
८.प्रश्नकाल के दौरान खर्राटे मारना
९. संसद भवन में बैठकर समाजसेवी महानुभावो के लिए मजाकिया शब्द प्रयोग करना
१०.शून्यकाल में प्रवचन पढ़ना
११.जनहित के कामो में संवैधानिक पेच डालकर अनावश्यक देरी करना
१२.सांसदों के वेतन भत्ते के बिल बिना चर्चा के तुरंत पास करवाना
१३.बिना पूर्व तैयारी के गलत भाषण पढ़ देना
१४.भारतीय संस्कृति के विपरीत पाठ्यक्रम बच्चो पर थोपने की तैयारी बताना
१५.बकाया कर का भुगतान नहीं करना
१६.सरकारी भवनों में डेरा डाले रहना और समय पर खाली न करना
१७.राष्ट्र गीत पर बैठे रहना या मनमर्जी की मुद्रा में खड़े रहना
१८.जनता के लिए ईद का चाँद बन जाना
१९.सांसद निधि का भी क्षेत्र के विकास के लिए खर्च न कर पाना
२०.दागदार रहकर भी पदभार संभाले रहना
२१.सम्बंधित विभाग की लापरवाही के बावजूद खुद को जबाबदेही से बचाना
२२.जनता के समक्ष बार बार निवेदन बदलना
ये सब नज़ारे भारतीय प्रजा सहती है, देखती है मगर इन्हें कर्तव्य की जगह अधिकार ही सुहाने लगते हैं .
एक -एक करके तिहाड़ जा रहे हैं शायद भविष्य में यह जेल भी विशेषाधिकार की परिभाषा में ना आ जाये.
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
लोकप्रिय पोस्ट
-
ये कोई 1 साल पहले की बात है....... एक व्यक्ति को मुंबई से पुणे जाना था... परन्तु उसने नए बने एक्सप्रेस वे की जगह पुराने रस्ते ...
-
यह एक डरावना चुटकला है. कृपया कर कमजोर दिल वालो से प्रार्थना है की वो इसे ना पढ़े. रात बहुत हो गई थी. सड़क भी सुनसान सी ही थी. इस पर बरसात ने ...
-
आजकल की लड़कियां जिन्हें कच्ची उम्र में प्यार करने का शौक होता है वह कितना भयानक होता है. अक्सर लड़कियां चौदह पन्द्रह साल की उमर में प्यार ...
-
मैं एक भ्रूण हूं। अभी मेरा कोई अस्तित्व नहीं। मैं प्राकृतिक रूप से सृष्टि को आगे बढ़ाने का दायित्व लेकर अपनी मां की...
-
नयी इच्छाओँ ने जन्म लेना शुरू कर दिया है... ये कैसे हो गया? अभी तो कई पुरानी इच्छाएँ, अपने साकार होने की प्रतीक्षा कर रही हैँ... अब इतनी सार...
-
तुलसी की माला धारण जो लोग करते है उनके शरीर की विद्युत शक्ति कभी समाप्त नहीं होती है.तुलसी की माला पहनने से व्यक्ति की असमय मृत्यु नहीं होती...
-
प्रागैतिहासिक युग से चले आने वाले केवल तीन ही धर्म आज संसार में विद्यमान हैं - हिन्दू धर्म, पारसी धर्म और यहूदी धर्म । उनको अनेकानेक प्रचण्ड...
-
एक बार लोहे और सोने मे बहस छिडी ! जोरदार गरमागरम! बात तमाम पहलुओं से होते हुये इस बात पर आ गई कि जलया तू भी जाता है जलाया मैं भी जाता हूं! र...
-
१- नारी चाहे किसी भी आयु और अवस्था की क्यूँ न हो लेकिन प्रकृति से माँ ही होती है और पुरुष चाहे किसी भी आयु और अवस्था का क्यूँ न हो जाये लेकि...
-
जब छोटा था तो माँ से अक्सर एक ही सवाल पूछता था मैं कब पापा जितना बड़ा होऊंगा माँ हंसकर उस बात को टाल जाती थी फिर जब भी वक़्त मिलता था तो आईन...
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें