बुधवार, 14 सितंबर 2011

हिंदी अपनाओ, देश का मान बढाओ.......


समारोह कार्यालय में था, हिन्दी दिवस मनाना था ।

सभ्य समाज उपस्थित सब, मर्दाना और जनाना था ।

एक-एक कर सब बोले, सबने हिन्दी का यश गाया ।

हिन्दी ही सत्य कहा सबने, अंग्रेजी तो है बस माया ।

साहब एक बढ़े आगे, अपना कद ऊँचा करने में ।

मिलती है अद्भुत शान्ति सदा ही, हिन्दी भाषण करने में ।

चले गए अंग्रेज यहाँ से, पर अंग्रेजी छोड़ गए ।

बुरा किया अंग्रेजों ने, मिलकर भारत को तोड़ गए ।

किन्तु नहीं चिन्ता हमको, हम मिलकर आगे जाएंगे ।

उत्थान करेंगे हिन्दी का, हिन्दी में हँसेंगे, गाएंगे ।

अब बात करेंगे हिन्दी में, हम सब अंग्रेजी छोड़ेंगे

जो अंग्रेजी में बोलेगा हम उससे नाता तोड़ेंगे ।

सचमुच उनका कद उच्च हुआ, करतल ध्वनि की हुँकार हुई ।

अंग्रेजी पडी रही नीचे, तो हिन्दी सिंह सवार हुई ।

पर यह क्या सब कुछ बदल गया, अनहोनी को तो होना था ।

बस चीफ बॉस का आना था, हिन्दी को फिर से रोना था ।

आगमन चीफ का हुआ सभी ने उठकर गुड मॉर्निंग बोला ।

मॉर्निंग मॉर्निंग हाउ आर यू, साहब ने गिरा दिया गोला ।

खड़े हुए जा माइक पर, फिर हिन्दी की तारीफ करी ।

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