समारोह कार्यालय में था, हिन्दी दिवस मनाना था ।
सभ्य समाज उपस्थित सब, मर्दाना और जनाना था ।
एक-एक कर सब बोले, सबने हिन्दी का यश गाया ।
हिन्दी ही सत्य कहा सबने, अंग्रेजी तो है बस माया ।
साहब एक बढ़े आगे, अपना कद ऊँचा करने में ।
मिलती है अद्भुत शान्ति सदा ही, हिन्दी भाषण करने में ।
चले गए अंग्रेज यहाँ से, पर अंग्रेजी छोड़ गए ।
बुरा किया अंग्रेजों ने, मिलकर भारत को तोड़ गए ।
किन्तु नहीं चिन्ता हमको, हम मिलकर आगे जाएंगे ।
उत्थान करेंगे हिन्दी का, हिन्दी में हँसेंगे, गाएंगे ।
अब बात करेंगे हिन्दी में, हम सब अंग्रेजी छोड़ेंगे
जो अंग्रेजी में बोलेगा हम उससे नाता तोड़ेंगे ।
सचमुच उनका कद उच्च हुआ, करतल ध्वनि की हुँकार हुई ।
अंग्रेजी पडी रही नीचे, तो हिन्दी सिंह सवार हुई ।
पर यह क्या सब कुछ बदल गया, अनहोनी को तो होना था ।
बस चीफ बॉस का आना था, हिन्दी को फिर से रोना था ।
आगमन चीफ का हुआ सभी ने उठकर गुड मॉर्निंग बोला ।
मॉर्निंग मॉर्निंग हाउ आर यू, साहब ने गिरा दिया गोला ।
खड़े हुए जा माइक पर, फिर हिन्दी की तारीफ करी ।
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