बुधवार, 20 मई 2015

कुछ देर रूको तो सही.....

कुछ देर रूको तो सही आ रहा हूँ मैं.....
बस एक नया रास्ता बना रहा हूँ मैं.....

एक पंख टूट गया था, तितली का.....
बस उसी पर मरहम लगा रहा हूँ मैं.....

कोई टिप्पणी नहीं:

लोकप्रिय पोस्ट