शुक्रवार, 5 जून 2020

सरणार्थी भेड़िया...


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एक भेड़िया था, जन्मजात धूर्त और मक्कार, एक जंगल मे उसने हिरण के बच्चे का शिकार किया और उसे खाने लगा, भेड़िये का परिवार भी उस हिरण के बच्चे का मांस खाने लगा, तभी मांस खाते वक्त भेड़िये और उसके बच्चे के गले में एक हड्डी अटक गई। बच्चा और भेड़िया दोनो तड़पने लगे, उन दोनों के गले लहूलुहान हो गए और उसमें गहरे घाव हो गए। भेड़िया भागा भागा तालाब किनारे रहने वाले सारस के पास पहुँचा और दया की भीख मांगने लगा- 
"सारस भाई मदद करो मेरे और बच्चे दोनों के गले में हड्डी फंस गयीं हैं...केवल तुम ही इसे निकाल सकते हो।"

 सारस को उसपर दया आ गयी, उसने अपनी लम्बी चोंच से दोनों के गले में फंसी हड्डी निकाली और जंगल के पत्तो से बनी औषधी उसके गले में लगाई, सारस रोजाना उनके खाने पीने का भी इंतजाम करता, एक हफ्ते कि चिकित्सा के बाद वे दोनों पूरी तरह ठीक हो गए, भेड़िये ओर उसके बेटे दोनों को उस सारस के रहने की जगह इतनी पसन्द आयी कि वे वही रहने लगे और सारस के दाना पानी को ही खाने लगें और उसपर अपना अधिकार जताने लगे।
  

कुछ दिनों बाद सारस ओर उसका परिवार उन दोनों की हरकतों से परेशान हो गया, उन्होंने भेड़िये से निवेदन किया कि अब वे स्वस्थ हो गए हैं तो अब इस जगह को छोड़कर जाने की कृपा करें, सारस के मुंह से यह सुनते ही भेड़िया भड़क उठा, उसने उल्टा सारस को धमकाना शुरू कर दिया, किन्तु सारस और उसका परिवार विनम्रतापूर्वक अपने घर को मुक्त करने का निवेदन करता रहा, किन्तु अंततः भेड़िये और उसके बच्चे ने क्रोधित होकर अपने सामुदायिक गुणों के अनुसार सारस पर हमला कर दिया और उसके पूरे परिवार को मारकर खा गये और उनकेे घर पर ही कब्जा करके रहने लगे......।
अब अमेरिका चलते है जहां दंगे भड़के हुए है,
 1982 में सोमालिया की राजधानी मोगादिशु में एक शांतिप्रिय परिवार में एक लड़की का जन्म हुआ उसका नाम रखा गया - "इल्हान ओमर"

जब सोमालिया में गृह युद्ध छिड़ा और लाखों लोग उस युद्ध में मारे जाने लगे तब मानवाधिकार संगठनों की सहायता से वह लड़की शरणार्थी बनकर अमेरिका आ गई,  अमेरिका ने उसके ऊपर दया करके उसे अपने यहां शरण दी और उसके जीवन यापन के लिए हर तरह की सुविधाएं मुहैया कराई जो आम अमेरिकी नागरिको को मिलती है।

अमेरिकी नागरिकता पाने के लिए उसने एक अमेरिकी नागरिक से विवाह भी किया जिससे उसे अमेरिका की नागरिकता मिल गई और अमेरिकी संसद का चुनाव जीतकर वह अमेरिका की सांसद भी बन गई,

अभी अमेरिका में एक अश्वेत की हत्या अमेरिकी पुलिसकर्मियों के हाथों हो जाने से जो दंगे हो रहे हैं उसमें इस शांतिप्रिय सांसद इल्हान ओमर की बेटी को कई जगह माइक लेकर दंगाइयों को भड़काते देखा जा रहा है, इतना ही नहीं वह अपने ट्विटर पर भी दंगाइयों को भड़का रही है और अमेरिका के वामपंथी हिंसक संगठन एंटीफा (ANTIFA) को सपोर्ट कर रही है, यानी जिस देश ने इनके ऊपर दया करके शरण दी, नागरिकता दी, सांसद बनाया उसी देश को अब ये जला रहे है।

भारत मे भी एक उपराष्ट्रपति थे जो जब तक पद पर रहे भारत की हर तरह की सुविधा को भोगा, पर जब पद से हटे तो उन्हें भारत खतरनाक लगने लगा उन्हें भारत मे रहने से डर लगने लगा।

तो सारांश यह है कि भेड़ियों को चाहे जितनी शरण दो, उच्च पद पर बैठा दो, उन्हें हर तरह की सुविधाएं घर बैठे मुहैया कराई जाए, भेड़िया हमेशा भेड़िया ही रहता है, भले ही वह शरणार्थी हो, वह अपने को 'शरण' देने वाले की ही 'अर्थी' निकाल देता है, क्योकि भेड़िये कभी अपना स्वभाव नहीं बदलते......

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