लव जिहाद स्कूलों में (भाग 1):-
स्कूलों में मुस्लिम लड़कियाँ अपनी हिन्दू सहेलियों की सेटिंग अपने मुस्लिम भाईयों से करवाती हैं और स्वयं हिन्दू लड़कों को भाई बनाकर रहती हैं , इसके इलावा स्कूल में जितने मुस्लिम अध्यापक होते हैं वे भी इस काम को अच्छे से अंजाम देते हैं वे कक्षा में सुंदर सुंदर और प्यारी हिन्दू बच्चियों को छाँटते हैं और स्कूल के रजिस्टर वगैरा से उनके और उनके परिवार के बारे में पूरी जानकारी जुटाते हैं फिर कुछ मुस्लिम लड़कों को तैयार करते हैं और किसी न किसी बहाने उन लड़कों को उन भोली भाली बच्चियों के इर्द गिर्द रखने में सहायता और प्रोत्साहन करते हैं।
इसके इलावा जो पुरुष मुसलमान अध्यापक होते हैं वे वहां काम करने वाली हिन्दू अध्यापिकाओं को फंसाने के लिए अलग से कोई न कोई षडयंत्र करते रहते हैं, कभी मीठी मीठी बातों से,कभी उर्दू शायरी के द्वारा, तो कभी किसी न किसी काम के बहाने और बहुत तो शादीशुदा महिलाओं को भी फँसा लेते हैं । अधिकतर आप पाएंगे कि ऐसी ही बुद्धिहीन और बेशर्म हिन्दू अध्यापिकाएँ इनसे चिपकने भी लगती हैं और रोज़ा, नमाज़ और अल्लाह जैसे विषयों में बड़े चाव से दिलचस्पी लेती हैं भले ही जिनसे उनका दूर दूर तक कोई सम्बन्ध न भी हो।
यदि स्कूल का मुख्याध्यापक ही मुसलमान हो तो फिर कहने ही क्या ? वह तो विशेष रूप से हिन्दू महिलाओं और बच्चियों को छाँटने लगता है । ऐसे ही स्कूलों में लव जिहाद जैसी घटनाओं का होना बड़ी आम बात है । जिससे हिन्दू बच्चियाँ और महिलाएँ लव जिहाद का शिकार होकर खराब और बर्बाद हो रही हैं। हिन्दू लड़कियों को धर्मपरिवर्तन के बाद अपार कष्ट सहने पड़ते हैं बच्चा पैदा करने की मशीन बनना पड़ता है तथा गाय भैंस तथा बकरे के मांस बनाना पड़ता है खाना पड़ता है तथा कभी कभी कई लोगों के साथ सोना पड़ता है जी भरने पर कोठे पर भी कई लड़कियों को बेच दिया जाता है ।
लव जिहाद कालेज यूनिवर्सिटी में ( भाग 2 ) :-
हिन्दू माता पिता अपनी लड़कियों को उच्च शिक्षा देने के लिए हर सम्भव प्रयास करते हैं और देश के अच्छे अच्छे कालेजों या यूनिवर्सिटीयों में पढ़ाते हैं । और तब लगभग 90% से अधिक हिन्दू लड़कियों को बॉलीवुड के प्रभाव के कारण बॉयफ्रेंड की आवश्यकता होने लगती है । इसके साथ ही वहाँ जो मुसलमान लड़के इस चीज़ को भांपते हुए हिन्दू लड़कियों से चिपक चिपक कर बात करने का प्रयत्न करने लगते हैं और लड़कियों की Assignment बनाना, नोट्स बनाना आदि का विशेष ध्यान रखते हैं और केन्टीन में ट्रीट देकर लड़कियों का विश्वास जीतते हैं जिससे कि ये हिन्दू लड़कियाँ किसी न किसी शोएब, अकरम, साज़िद, जुबैर आदि पर फिसलती जाती हैं।
इसके इलावा कालेजों में मुसलमानों ने अपना एक अलग ही समूह बनाया होता है और मुसलमानों की अलग से फ्रेशर पार्टी भी होती हैं जिसमें सभी सीनियर और जूनियर आपस में मेल जोल बढ़ाकर एक दूसरे की सहायता करने का प्रयास करते हैं और कॉलेज में आने वाली हर नई और सुंदर दिखने वाली हिन्दू लड़की पर विशेष ध्यान देते हैं और उनको पटाने के लिए अपने मुसलमान ग्रुप को तरह तरह से उपाय बताते हैं । कालेजों में जो मुसलमान Faculity होती है वे लोग भी हिन्दू लड़कियों की Internal Marks इसी आधार पर लगाते हैं कि वो किस मुसलमान लड़के से फंसी है । और ये टीचर खुद भी ऐसे लड़कों को पूरा प्रोत्साहित करते हैं कि सुंदर सुंदर हिन्दू लड़कियों को खराब करो । कालेजों में इनका पूरा गैंग इसी काम को करता और अंजाम देता है ।
लव जिहाद ब्यूटी पार्लर में ( भाग 3 ) :-
अधिकतर बड़े घर की या मध्यम वर्गीय हिन्दू महिलाएँ अपने चेहरे को सवारने, थ्रेडिंग बनवाने आदि के लिए ब्यूटी पार्लर जाती हैं । और बहुत से ऐसे पार्लर होते हैं जिनका संचालन मुस्लिम महिलाएँ ही करती हैं । ये मुस्लिम महिलाएँ थ्रेडिंग आदि बनाते हुए यारी दोस्ती में उन महिलाओं से सारी जानकारी उनके घर के बारे में ले लेती हैं । उनकी हर भावना को बड़ा ही मीठा बनकर समझने का यत्न करती हैं और कभी कभी तो उन हिन्दू सहेलियों की सहायता तक करके भी उनका विश्वास जीत लेती हैं ऐसा करके ये सब वे अपने भाईयों या फिर अन्य मुसलमान पुरुषों को ये जानकारी देती हैं उनको इन महिलाओं का नम्बर और पता आदि देकर पीछे लग देती हैं।
जिससे अधिकतर शादीशुदा या फिर कुवारी लड़कियाँ इन तैयार किये मुसलमान लड़कों के आंख मटक्के में फंस जाती हैं । शादीशुदा महिला को फंसाने और भी सरल होता है क्योंकि ये पता है कि वो लड़के को शादी के लिए दबाव नहीं डाल सकती और अवैध सम्बन्ध जब तक चाहे रख सकती है । ऐसे ही ये महिलाएँ धड़ल्ले से लव जिहाद का शिकार हो जाती हैं ।
लव जिहाद गली मोहल्लों में ( भाग 4 ) :-
मस्जिदों में हर शुक्रवार को रेडी वाला, फल वाला, कबाड़ वाला, शाल बेचने वाला, मैकेनिक, सफाई वाला, कचरे वाला हर मुसलमान मीटिंग करते हैं और हर हिन्दू गली मोहल्ले में जाकर अपना काम करने के बहाने हर घर में कितनी सुंदर सुंदर और जवान हिन्दू बेटीयाँ हैं, और कौन कौन सी सुंदर हिन्दू महिलाएँ हैं जो अपने पतियों से संतुष्ट नहीं हैं इन सबकी लिस्ट बनाते हैं और मस्जिदों पर आकर चर्चा करते हैं फिर योजना के अनुसार थोड़ा सुंदर दिखने वाले क्लीन शेव लड़कों को तैयार किया जाता है।
जिन्हें मस्जिदों के द्वारा ही पैसे और बाईक वगैरा दी जाती हैं तांकि वे नाम बदलकर हाथों में कलावा बांधकर, हिन्दू मोहल्ले के चक्कर लगाएँ और लिस्ट वाली हिन्दू लड़कियों को पटाएँ । तो कोई न कोई लड़की या महिला पट ही जाती है और पूर्व नियोजित तरीके से गायब करके अन्य किसी राज्य में ले जाई जाती है जहाँ पर उसका सामूहिक बलात्कार तक किया जाता है और कहीं फेंक दिया जाता है या फिर बेच दिया जाता है ।
लव जिहाद जिम में (भाग 5):-
बड़े शहर के लड़कों और लड़कियों को अपने शरीर को सुंदर बनाने का 6 पैक एब्स का बहुत ही शौक होता है । और अब तो लड़के लड़कियों के जिम भी संयुक्त रूप में खुलते हैं । लगभग बहुत से जिम ट्रेनर अब मुसलमान युवा लड़के रखे जाने लगे हैं । वहाँ जिम करने आने वाली हिन्दू लड़कियों और कुछ तो महिलाएँ भी आती हैं उनको ये मुस्लिम लड़के साथ चिपक चिपक कर जिम सिखाते हुए प्यार के जाल में फंसा लेते हैं और पटाकर सैट कर लेते हैं क्योंकि ये लड़के अपने शरीर को देखने में फिट रखते हैं और जिनका शरीर देखकर ही हिन्दू लड़कियां वैसे ही लार टपकाने लगती हैं और तुरन्त फिसल जाती हैं ।
इन मुसलमान जिम ट्रेनरों को तो हिन्दू लड़की पटाने में अधिक परिश्रम भी नहीं करना पड़ता । अधिकतर ये मुसलमान लड़के 12 वर्ष से लेकर 24 वर्ष तक कि हिन्दू लड़किओम को टार्गेट करते हैं क्योंकि ये समय लड़कियों में बहुत से हार्मोन बदलते हैं और फिसलने के लिए सबसे सही समय है और ऊपर से हमारा बॉलीवुड तो जिंदाबाद है ही । इसलिए जिम ट्रेनिंग सेंटर में मुसलमान ट्रेनरों का होना कोई अकस्मात नहीं है । ऐसे ही नई नई ताज़ी जवान हुई हिन्दू बेटीयाँ बड़े नगर जैसे मुम्बई, दिल्ली, चण्डीगढ़, नोएडा आदि में खराब हो रही हैं ।
लव जिहाद हिन्दू घरों में (भाग 6) :-
मुसलमान लड़के वैसे तो अपने ही झुंड में रहते हैं परन्तु विशेष रूप से उन हिन्दू लड़कों से शीघ्र ही मित्रता करते हैं जिनकी सुंदर सुंदर बहने होती हैं । उन हिन्दू लड़कों से तो ये ऐसी यारी दोस्ती निभाते हैं कि वे इनको अपना भाई तक मनाने लगते हैं और ऐसे उन मुसलमान लड़कों का इन हिन्दू दोस्तों के घरों में आना जाना, उठना बैठना, खाना पीना आदि आम बात हो जाती है । घरों में घुसकर ये मुसलमान लड़के उनकी बहनों , भाभियों से ऐसे घुल मिल जाते हैं जैसे गर्म पानी में शक्कर घुल जाती है ।
कभी भी देखना एक मुसलमान लड़का हिन्दू की लड़की पटाने के लिए जान तक देते को जाता है और हद से ज्यादा मीठा बोलता है । तो ऐसे ही उन बहनों, भाभियों के सामने इतना मीठा बोलता है और उनके बीच में अपने व्यवहार के कारण रच बस जाता है कि जैसे मानो वह उन्हीं के घर का सदस्य हो । और हर बात के लिए उस हिन्दू लड़के ही बहनें या भाभियाँ उस मुस्लिम लड़के पर पूरा विश्वास करने लग जाती हैं , और कभी कभी तो अपने पैसों से बाजार से उनके लिए सामान लेकर आना, अपने दोस्त की बहन को ट्यूशन या स्कूल आदि छोड़कर आना जैसे काम भी करने लगता है ।
इसी अत्यंत विश्वास के कारण हिन्दू दोस्त की बहनें उससे किसी न किसी रूप में पट जाती हैं और भाग जाती हैं । कभी तो ये लोग उस लड़की को गायब करके किसी अन्य राज्य ले जाते हैं । कभी किसी भाभी या बहन की आपत्ति जनक फोटो खींचकर उसे ब्लैकमेल करके उसका शोषण करता रहता है और वो भी ठीक अपने हिन्दू दोस्त की नाक के नीचे । ऐसे ही बहुत से हिन्दू घर अपनी मूर्खता के कारण इन मुस्लिम लड़कों को घरों में घुसाकर अपनी बेटीयाँ खराब करवा रहे हैं । ( याद रखें ! एक मुसलमान लड़के की नज़र आपके घर की 5 साल की बच्ची से लेकर 60 साल की महिला तक होती है )
लव जिहाद सांस्कृतिक कार्यक्रमों के द्वारा (भाग 7):-
हिन्दू त्योहारों और अन्य सांस्कृतिक त्योहारों का आयोजन करने के लिए बहुत से समूह पैसा लगाते हैं और जो पैसा लगते हैं वे हर उस कार्यक्रम में अपना विशेष प्रभाव भी रखते हैं, जैसे नवरात्रों में गरभा, डांडिया खेलना हो, सामूहिक व्रत और आरतियाँ करना हो आदि । इनमें अब बहुत से मुसलमान धनिक पैसा लगाने लगे हैं और बड़े बड़े उन हिन्दू पंडालों में मुसलमानों की उपस्थिति होने लगी है ।
जैसे गरबा डांडिया का आयोजन होगा तो बहुत से मुसलमान युवा उनमें भाग लेंगे, केवल और केवल इस कारण से कि वे हिन्दू लड़कियों के साथ गरबा खेल सकें और उनको पटा सकें । अंधे और बुद्धिहीन हिन्दू परिवार इसे धार्मिक सौहार्द समझकर प्रसन्न होते रहते हैं कि उनके कार्यक्रम में मुस्लिम भाई भी आ रहे हैं, परन्तु क्यों और किसलिए आ रहे हैं ? ये तनिक भी नहीं सोचते । कितनी ही बड़ी बड़ी सोसाइटी वाले गरबा का आयोजन करवाते हैं और कुछ दिन पहले अपनी बेटियों को गरबा सिखाने के लिए डांसर को बुलाते हैं और अब तो मुसलमान लड़के गुजरात के कई जिलों में या बड़े नगरों में गरबा सीखने वाले काम में घुसने लगे हैं ।
(क्योंकि ये लोग सदा इसी ताक में रहते हैं कि अधिक से अधिक सुंदर सुंदर हिन्दू लड़कियों से सम्पर्क कैसे हो सकता है) इसके इलावा ये मुस्लिम डांस क्लासें भी खोलते हैं जिसमें बेशर्म हिन्दू अपनी लड़कियों को धड़ाधड़ भेज रहे हैं और सत्यानाश करवा रहे हैं ।
लव जिहाद मन्दिरों के बाहर (भाग 8) :-
लगभग हर मन्दिरों के बाहर कुछ दूर आपको छोटी बड़ी मज़ारें या कोई न कोई हरे रंग का पीरखाना मिल जाएगा जिसे देहात की भाषा में कहते हैं "सय्यद बैठा दिया" और इसपर बैठने वाला कोई न कोई तीखी दाढ़ी और मूँछ कटा मुल्ला बैठा होगा और साथ में मन्दिर के बाहर फूल, कलावा, प्रसाद, और अन्य वस्तुएँ बेचने के लिए भी मुसलमान दुकानें लगते हैं ।
और वहाँ मन्दिर के बाहर कुछ युवा भी खड़े होते हैं जो दिखने में पहनावे से हिन्दू लगते हैं, कुछ वहाँ कई मंदिरों में तो ऐसे गेरुआ वस्त्र धारण किये सन्यासी भी दिखाई देते हैं जो वास्तव में मुसलमान बहरूपिए होते हैं, कुछ बिखारी जो मन्दिर के बाहर प्रसाद मांगते हैं उनमें बहुत से बांग्लादेशी मुसलमान भी होते हैं जो पहचान में नहीं आते । इन सबका काम ये ये होता है कि मंदिर में कौन कौन सुन्दर सुंदर हिन्दू लड़कियाँ और महिलाएँ आती हैं ? उन सबपर दृष्टि रखते हैं । आंख मटक्का करके फँसा भी लेते हैं ।
आप हिंदुओं के स्वभाव को जानते ही हैं कि इनका मन्दिर में बैठे 33 करोड़ देवी देवताओं के आगे माथा टेककर तो वैसे ही पेट नहीं भरता और इनको माथा टेकने के लिए मज़ारें भी चाहियें तो ये निर्लज्ज हिन्दू महिलाएँ अपनी बेटियों को साथ लेकर मूँह उठाकर मजारों पर भी ऐसी तैसी कराने पहुँच जाती हैं और वहाँ से कई बार तो मुल्ला जी कोई ऐसा पदार्थ प्रसाद में मिलाकर बेहोश कर देते हैं और वहीं पर सक्रिय अपने इस्लामी गुंडों की सहायता से महिला या लड़की को उठाकर कहीं और ले जाते हैं । ऐसे ही कई लड़कियाँ और महिलाएँ सैकड़ों की संख्या में गायब की जाती हैं और फिर सामूहिक बलात्कार करके मार दी जाती हैं ।
लव जिहाद ट्यूशन के द्वारा (भाग 9) :-
पहले बात करते हैं होम ट्यूशन की जिसमें माता पिता बच्चों के लिए कोई न कोई ट्यूटर घर पर बुलाते हैं और अधिक पैसा देते हैं ऐसे में मुस्लिम ट्यूटर हिन्दू घरों में उनकी बेटियों को पढ़ाने के लिए भी घुसने लगे हैं और घर और गली की पूरी रेकी करते हैं । भोली भाली बच्चियों को बहलाकर ये लोग अनेक प्रलोभन देकर वहीं से गायब कर लेते हैं या फिर शोषण करते रहते हैं ।
क्योंकि हिन्दू माता पिता तो वैसे ही अंधे होते हैं समाज में उनके आसपास क्या क्या घटनाएँ घट रही हैं उन्हें इससे कोई सरोकार नहीं रहता बस अपनी दाल रोटी से ही मतलब रखते हैं । दूसरी बात करेंगे हम ट्यूशन सेंटर की जिनका संचालन मुसलमान करने लगे हैं और मुसलमान टीचर उसमें ट्यूशन पढ़ाते हैं , वे हिन्दू लड़कियों पर विशेष ध्यान देते हैं और वहाँ पढ़ने आने वाले मुसलमान लड़कों से सांठगांठ करके हिन्दू लड़कियाँ खराब करने में पूरा सहयोग देते हैं।
मान लें दो हिन्दू लड़कियाँ मुसलमान बॉयफ्रेंड रखी हैं तो वे दोनों मुस्लिम लड़के अपने तीसरे चौथे दोस्त के लिए भी उनसे कोई और हिन्दू लड़की का जुगाड़ करने को बोलते हैं तो ऐसे में ये लड़कियाँ स्वयं तो खराब होती ही हैं परन्तु औरों को भी अपने साथ खराब करती हैं । ट्यूशन सेंटरों में वैसे ही गर्लफ्रैंड बॉयफ्रेंड होना आम सी बात हो गई है और हर तीसरी चौथी हिन्दू लड़की का बॉयफ्रेंड मुसलमान होता है ।
यदि उस सेंटर में कोई मुसलमान लड़की पढ़ने भी आती है तो उसपर मुसलमान लड़कों की निगरानी रहती है कि ये किसी हिन्दू से न फंस जाए और उस लड़की को उसका बाप या भाई ही छोड़ने आता है । लेकिन हिन्दू लड़कों के शरीरों में तो वैसे ही खून नहीं बचा जो खौल जाएगा !! इसलिए हिन्दू लड़कियाँ मुसलमानों के साथ घूम रही हों उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता ।
लव जिहाद बॉलीवुड के द्वारा (भाग 10) :-
80 के दशक में पाकिस्तान की ISI की दृष्टि भारत के हिन्दी सिनेमा यानी कि बॉलीवुड पर पड़ी और उसे लगा कि इसके द्वारा भारत की हिन्दू लड़कियों को बड़ी संख्या में बिगाड़ा जा सकता है और मुस्लिम प्रेमी बनाया जा सकता है । इस लिए उन्होंने दाऊद जैसे गुंडों के द्वारा हाजी मस्तान की सहायता से इसमें पैसा लगाना शुरू किया, बड़ी संख्या में इसमें स्क्रिप्ट राइटरों को खरीदा गया और बड़ी बड़ी म्यूजिक कम्पनी में शेयर खरीदे गए और हर क्षेत्र में पाकिस्तान परस्त मुसलमान बिठाए गए जो नहीं बिका वो गुलशन कुमार की तरह मरवा दिया गया ।
और फिल्मों में भाई बहन के गीतों, भजन आरतियों का स्थान अल्लाह मौला, इश्क मुहब्बत आदि ने ले लिया और जो आज आप हिन्दू लड़कियों में शाहरुख, आमिर, सैफ आदि खानों के प्रति जो क्रेज़ देख रहे हो वो एक ही दिन में नहीं आया है !! इसके लिए बॉलीवुड के मुस्लिम संगठनों ने पूरी मेहनत की है और धीरे धीरे हिन्दू लड़कियों के दिमाग को घुमाया गया है । इसलियव एक मॉडर्न हिन्दू लड़की से आप अपने ही धर्म या संस्कृति पर बात करके देख लो तो वो ऐसे आढ़ा टेढ़ा मुँह बनाकर एटीट्यूड दिखाने लगेगी और खान हीरोज़ आदि का नाम सुनते ही ऐसे रिएक्ट करवेगी जैसे पता नहीं जैसे आपने उसकी नब्ज पकड़ ली हो ।
इनमें से अधिक लड़कियों को ये नहीं पता होगा कि श्रीराम जी के पिता जी का नाम क्या था ? बल्कि ये पता होगा कि शाहरुख खान रात को क्या खाता है और कितने बजे सोता है ? यही कारण है कि हर चौथी हिन्दू लड़की मुसलमान लड़के में शाहरुख, आमिर, इमरान को देखने लगी है । स्कूल कालेज में भी देख लें तो हिन्दू लड़कियां अधिकतर फिल्मी स्टोरी या टीवी सीरियलों पर चर्चा करती मिलेंगी । आप ध्यान से देखना एक हिन्दू लड़की अपनी बॉलीवुड की ही काल्पनिक दुनिया में खोई मिलेगी कानों में हैडफोन ठूसकर गाने सुनती रहेगी और अपने ही विचारों में मस्त अपने आप में हीरोइन बनती रहेगी, स्वयं को एंजल या हॉट बेब समझती मिलेगी ।
ये बॉलीवुड की गंदगी हजारों हिन्दू लड़कियों को बर्बाद कर चुकी है और इसी से लड़कियाँ मुसलमानों के साथ भाग चुकी हैं । हिन्दू लड़कियों को धर्मपरिवर्तन के बाद अपार कष्ट सहने पड़ते हैं गाय भैंस तथा बकरे के मांस बनाना पड़ता है खाना पड़ता है तथा कभी कभी कई लोगों के साथ सोना पड़ता है जी भरने पर कोठे पर भी कई लड़कियों को बेच दिया जाता है ।
नोट-- इस सन्देश को ज्यादा से ज्यादा शेयर करें.....
स्कूलों में मुस्लिम लड़कियाँ अपनी हिन्दू सहेलियों की सेटिंग अपने मुस्लिम भाईयों से करवाती हैं और स्वयं हिन्दू लड़कों को भाई बनाकर रहती हैं , इसके इलावा स्कूल में जितने मुस्लिम अध्यापक होते हैं वे भी इस काम को अच्छे से अंजाम देते हैं वे कक्षा में सुंदर सुंदर और प्यारी हिन्दू बच्चियों को छाँटते हैं और स्कूल के रजिस्टर वगैरा से उनके और उनके परिवार के बारे में पूरी जानकारी जुटाते हैं फिर कुछ मुस्लिम लड़कों को तैयार करते हैं और किसी न किसी बहाने उन लड़कों को उन भोली भाली बच्चियों के इर्द गिर्द रखने में सहायता और प्रोत्साहन करते हैं।
इसके इलावा जो पुरुष मुसलमान अध्यापक होते हैं वे वहां काम करने वाली हिन्दू अध्यापिकाओं को फंसाने के लिए अलग से कोई न कोई षडयंत्र करते रहते हैं, कभी मीठी मीठी बातों से,कभी उर्दू शायरी के द्वारा, तो कभी किसी न किसी काम के बहाने और बहुत तो शादीशुदा महिलाओं को भी फँसा लेते हैं । अधिकतर आप पाएंगे कि ऐसी ही बुद्धिहीन और बेशर्म हिन्दू अध्यापिकाएँ इनसे चिपकने भी लगती हैं और रोज़ा, नमाज़ और अल्लाह जैसे विषयों में बड़े चाव से दिलचस्पी लेती हैं भले ही जिनसे उनका दूर दूर तक कोई सम्बन्ध न भी हो।
यदि स्कूल का मुख्याध्यापक ही मुसलमान हो तो फिर कहने ही क्या ? वह तो विशेष रूप से हिन्दू महिलाओं और बच्चियों को छाँटने लगता है । ऐसे ही स्कूलों में लव जिहाद जैसी घटनाओं का होना बड़ी आम बात है । जिससे हिन्दू बच्चियाँ और महिलाएँ लव जिहाद का शिकार होकर खराब और बर्बाद हो रही हैं। हिन्दू लड़कियों को धर्मपरिवर्तन के बाद अपार कष्ट सहने पड़ते हैं बच्चा पैदा करने की मशीन बनना पड़ता है तथा गाय भैंस तथा बकरे के मांस बनाना पड़ता है खाना पड़ता है तथा कभी कभी कई लोगों के साथ सोना पड़ता है जी भरने पर कोठे पर भी कई लड़कियों को बेच दिया जाता है ।
लव जिहाद कालेज यूनिवर्सिटी में ( भाग 2 ) :-
हिन्दू माता पिता अपनी लड़कियों को उच्च शिक्षा देने के लिए हर सम्भव प्रयास करते हैं और देश के अच्छे अच्छे कालेजों या यूनिवर्सिटीयों में पढ़ाते हैं । और तब लगभग 90% से अधिक हिन्दू लड़कियों को बॉलीवुड के प्रभाव के कारण बॉयफ्रेंड की आवश्यकता होने लगती है । इसके साथ ही वहाँ जो मुसलमान लड़के इस चीज़ को भांपते हुए हिन्दू लड़कियों से चिपक चिपक कर बात करने का प्रयत्न करने लगते हैं और लड़कियों की Assignment बनाना, नोट्स बनाना आदि का विशेष ध्यान रखते हैं और केन्टीन में ट्रीट देकर लड़कियों का विश्वास जीतते हैं जिससे कि ये हिन्दू लड़कियाँ किसी न किसी शोएब, अकरम, साज़िद, जुबैर आदि पर फिसलती जाती हैं।
इसके इलावा कालेजों में मुसलमानों ने अपना एक अलग ही समूह बनाया होता है और मुसलमानों की अलग से फ्रेशर पार्टी भी होती हैं जिसमें सभी सीनियर और जूनियर आपस में मेल जोल बढ़ाकर एक दूसरे की सहायता करने का प्रयास करते हैं और कॉलेज में आने वाली हर नई और सुंदर दिखने वाली हिन्दू लड़की पर विशेष ध्यान देते हैं और उनको पटाने के लिए अपने मुसलमान ग्रुप को तरह तरह से उपाय बताते हैं । कालेजों में जो मुसलमान Faculity होती है वे लोग भी हिन्दू लड़कियों की Internal Marks इसी आधार पर लगाते हैं कि वो किस मुसलमान लड़के से फंसी है । और ये टीचर खुद भी ऐसे लड़कों को पूरा प्रोत्साहित करते हैं कि सुंदर सुंदर हिन्दू लड़कियों को खराब करो । कालेजों में इनका पूरा गैंग इसी काम को करता और अंजाम देता है ।
लव जिहाद ब्यूटी पार्लर में ( भाग 3 ) :-
अधिकतर बड़े घर की या मध्यम वर्गीय हिन्दू महिलाएँ अपने चेहरे को सवारने, थ्रेडिंग बनवाने आदि के लिए ब्यूटी पार्लर जाती हैं । और बहुत से ऐसे पार्लर होते हैं जिनका संचालन मुस्लिम महिलाएँ ही करती हैं । ये मुस्लिम महिलाएँ थ्रेडिंग आदि बनाते हुए यारी दोस्ती में उन महिलाओं से सारी जानकारी उनके घर के बारे में ले लेती हैं । उनकी हर भावना को बड़ा ही मीठा बनकर समझने का यत्न करती हैं और कभी कभी तो उन हिन्दू सहेलियों की सहायता तक करके भी उनका विश्वास जीत लेती हैं ऐसा करके ये सब वे अपने भाईयों या फिर अन्य मुसलमान पुरुषों को ये जानकारी देती हैं उनको इन महिलाओं का नम्बर और पता आदि देकर पीछे लग देती हैं।
जिससे अधिकतर शादीशुदा या फिर कुवारी लड़कियाँ इन तैयार किये मुसलमान लड़कों के आंख मटक्के में फंस जाती हैं । शादीशुदा महिला को फंसाने और भी सरल होता है क्योंकि ये पता है कि वो लड़के को शादी के लिए दबाव नहीं डाल सकती और अवैध सम्बन्ध जब तक चाहे रख सकती है । ऐसे ही ये महिलाएँ धड़ल्ले से लव जिहाद का शिकार हो जाती हैं ।
लव जिहाद गली मोहल्लों में ( भाग 4 ) :-
मस्जिदों में हर शुक्रवार को रेडी वाला, फल वाला, कबाड़ वाला, शाल बेचने वाला, मैकेनिक, सफाई वाला, कचरे वाला हर मुसलमान मीटिंग करते हैं और हर हिन्दू गली मोहल्ले में जाकर अपना काम करने के बहाने हर घर में कितनी सुंदर सुंदर और जवान हिन्दू बेटीयाँ हैं, और कौन कौन सी सुंदर हिन्दू महिलाएँ हैं जो अपने पतियों से संतुष्ट नहीं हैं इन सबकी लिस्ट बनाते हैं और मस्जिदों पर आकर चर्चा करते हैं फिर योजना के अनुसार थोड़ा सुंदर दिखने वाले क्लीन शेव लड़कों को तैयार किया जाता है।
जिन्हें मस्जिदों के द्वारा ही पैसे और बाईक वगैरा दी जाती हैं तांकि वे नाम बदलकर हाथों में कलावा बांधकर, हिन्दू मोहल्ले के चक्कर लगाएँ और लिस्ट वाली हिन्दू लड़कियों को पटाएँ । तो कोई न कोई लड़की या महिला पट ही जाती है और पूर्व नियोजित तरीके से गायब करके अन्य किसी राज्य में ले जाई जाती है जहाँ पर उसका सामूहिक बलात्कार तक किया जाता है और कहीं फेंक दिया जाता है या फिर बेच दिया जाता है ।
लव जिहाद जिम में (भाग 5):-
बड़े शहर के लड़कों और लड़कियों को अपने शरीर को सुंदर बनाने का 6 पैक एब्स का बहुत ही शौक होता है । और अब तो लड़के लड़कियों के जिम भी संयुक्त रूप में खुलते हैं । लगभग बहुत से जिम ट्रेनर अब मुसलमान युवा लड़के रखे जाने लगे हैं । वहाँ जिम करने आने वाली हिन्दू लड़कियों और कुछ तो महिलाएँ भी आती हैं उनको ये मुस्लिम लड़के साथ चिपक चिपक कर जिम सिखाते हुए प्यार के जाल में फंसा लेते हैं और पटाकर सैट कर लेते हैं क्योंकि ये लड़के अपने शरीर को देखने में फिट रखते हैं और जिनका शरीर देखकर ही हिन्दू लड़कियां वैसे ही लार टपकाने लगती हैं और तुरन्त फिसल जाती हैं ।
इन मुसलमान जिम ट्रेनरों को तो हिन्दू लड़की पटाने में अधिक परिश्रम भी नहीं करना पड़ता । अधिकतर ये मुसलमान लड़के 12 वर्ष से लेकर 24 वर्ष तक कि हिन्दू लड़किओम को टार्गेट करते हैं क्योंकि ये समय लड़कियों में बहुत से हार्मोन बदलते हैं और फिसलने के लिए सबसे सही समय है और ऊपर से हमारा बॉलीवुड तो जिंदाबाद है ही । इसलिए जिम ट्रेनिंग सेंटर में मुसलमान ट्रेनरों का होना कोई अकस्मात नहीं है । ऐसे ही नई नई ताज़ी जवान हुई हिन्दू बेटीयाँ बड़े नगर जैसे मुम्बई, दिल्ली, चण्डीगढ़, नोएडा आदि में खराब हो रही हैं ।
लव जिहाद हिन्दू घरों में (भाग 6) :-
मुसलमान लड़के वैसे तो अपने ही झुंड में रहते हैं परन्तु विशेष रूप से उन हिन्दू लड़कों से शीघ्र ही मित्रता करते हैं जिनकी सुंदर सुंदर बहने होती हैं । उन हिन्दू लड़कों से तो ये ऐसी यारी दोस्ती निभाते हैं कि वे इनको अपना भाई तक मनाने लगते हैं और ऐसे उन मुसलमान लड़कों का इन हिन्दू दोस्तों के घरों में आना जाना, उठना बैठना, खाना पीना आदि आम बात हो जाती है । घरों में घुसकर ये मुसलमान लड़के उनकी बहनों , भाभियों से ऐसे घुल मिल जाते हैं जैसे गर्म पानी में शक्कर घुल जाती है ।
कभी भी देखना एक मुसलमान लड़का हिन्दू की लड़की पटाने के लिए जान तक देते को जाता है और हद से ज्यादा मीठा बोलता है । तो ऐसे ही उन बहनों, भाभियों के सामने इतना मीठा बोलता है और उनके बीच में अपने व्यवहार के कारण रच बस जाता है कि जैसे मानो वह उन्हीं के घर का सदस्य हो । और हर बात के लिए उस हिन्दू लड़के ही बहनें या भाभियाँ उस मुस्लिम लड़के पर पूरा विश्वास करने लग जाती हैं , और कभी कभी तो अपने पैसों से बाजार से उनके लिए सामान लेकर आना, अपने दोस्त की बहन को ट्यूशन या स्कूल आदि छोड़कर आना जैसे काम भी करने लगता है ।
इसी अत्यंत विश्वास के कारण हिन्दू दोस्त की बहनें उससे किसी न किसी रूप में पट जाती हैं और भाग जाती हैं । कभी तो ये लोग उस लड़की को गायब करके किसी अन्य राज्य ले जाते हैं । कभी किसी भाभी या बहन की आपत्ति जनक फोटो खींचकर उसे ब्लैकमेल करके उसका शोषण करता रहता है और वो भी ठीक अपने हिन्दू दोस्त की नाक के नीचे । ऐसे ही बहुत से हिन्दू घर अपनी मूर्खता के कारण इन मुस्लिम लड़कों को घरों में घुसाकर अपनी बेटीयाँ खराब करवा रहे हैं । ( याद रखें ! एक मुसलमान लड़के की नज़र आपके घर की 5 साल की बच्ची से लेकर 60 साल की महिला तक होती है )
लव जिहाद सांस्कृतिक कार्यक्रमों के द्वारा (भाग 7):-
हिन्दू त्योहारों और अन्य सांस्कृतिक त्योहारों का आयोजन करने के लिए बहुत से समूह पैसा लगाते हैं और जो पैसा लगते हैं वे हर उस कार्यक्रम में अपना विशेष प्रभाव भी रखते हैं, जैसे नवरात्रों में गरभा, डांडिया खेलना हो, सामूहिक व्रत और आरतियाँ करना हो आदि । इनमें अब बहुत से मुसलमान धनिक पैसा लगाने लगे हैं और बड़े बड़े उन हिन्दू पंडालों में मुसलमानों की उपस्थिति होने लगी है ।
जैसे गरबा डांडिया का आयोजन होगा तो बहुत से मुसलमान युवा उनमें भाग लेंगे, केवल और केवल इस कारण से कि वे हिन्दू लड़कियों के साथ गरबा खेल सकें और उनको पटा सकें । अंधे और बुद्धिहीन हिन्दू परिवार इसे धार्मिक सौहार्द समझकर प्रसन्न होते रहते हैं कि उनके कार्यक्रम में मुस्लिम भाई भी आ रहे हैं, परन्तु क्यों और किसलिए आ रहे हैं ? ये तनिक भी नहीं सोचते । कितनी ही बड़ी बड़ी सोसाइटी वाले गरबा का आयोजन करवाते हैं और कुछ दिन पहले अपनी बेटियों को गरबा सिखाने के लिए डांसर को बुलाते हैं और अब तो मुसलमान लड़के गुजरात के कई जिलों में या बड़े नगरों में गरबा सीखने वाले काम में घुसने लगे हैं ।
(क्योंकि ये लोग सदा इसी ताक में रहते हैं कि अधिक से अधिक सुंदर सुंदर हिन्दू लड़कियों से सम्पर्क कैसे हो सकता है) इसके इलावा ये मुस्लिम डांस क्लासें भी खोलते हैं जिसमें बेशर्म हिन्दू अपनी लड़कियों को धड़ाधड़ भेज रहे हैं और सत्यानाश करवा रहे हैं ।
लव जिहाद मन्दिरों के बाहर (भाग 8) :-
लगभग हर मन्दिरों के बाहर कुछ दूर आपको छोटी बड़ी मज़ारें या कोई न कोई हरे रंग का पीरखाना मिल जाएगा जिसे देहात की भाषा में कहते हैं "सय्यद बैठा दिया" और इसपर बैठने वाला कोई न कोई तीखी दाढ़ी और मूँछ कटा मुल्ला बैठा होगा और साथ में मन्दिर के बाहर फूल, कलावा, प्रसाद, और अन्य वस्तुएँ बेचने के लिए भी मुसलमान दुकानें लगते हैं ।
और वहाँ मन्दिर के बाहर कुछ युवा भी खड़े होते हैं जो दिखने में पहनावे से हिन्दू लगते हैं, कुछ वहाँ कई मंदिरों में तो ऐसे गेरुआ वस्त्र धारण किये सन्यासी भी दिखाई देते हैं जो वास्तव में मुसलमान बहरूपिए होते हैं, कुछ बिखारी जो मन्दिर के बाहर प्रसाद मांगते हैं उनमें बहुत से बांग्लादेशी मुसलमान भी होते हैं जो पहचान में नहीं आते । इन सबका काम ये ये होता है कि मंदिर में कौन कौन सुन्दर सुंदर हिन्दू लड़कियाँ और महिलाएँ आती हैं ? उन सबपर दृष्टि रखते हैं । आंख मटक्का करके फँसा भी लेते हैं ।
आप हिंदुओं के स्वभाव को जानते ही हैं कि इनका मन्दिर में बैठे 33 करोड़ देवी देवताओं के आगे माथा टेककर तो वैसे ही पेट नहीं भरता और इनको माथा टेकने के लिए मज़ारें भी चाहियें तो ये निर्लज्ज हिन्दू महिलाएँ अपनी बेटियों को साथ लेकर मूँह उठाकर मजारों पर भी ऐसी तैसी कराने पहुँच जाती हैं और वहाँ से कई बार तो मुल्ला जी कोई ऐसा पदार्थ प्रसाद में मिलाकर बेहोश कर देते हैं और वहीं पर सक्रिय अपने इस्लामी गुंडों की सहायता से महिला या लड़की को उठाकर कहीं और ले जाते हैं । ऐसे ही कई लड़कियाँ और महिलाएँ सैकड़ों की संख्या में गायब की जाती हैं और फिर सामूहिक बलात्कार करके मार दी जाती हैं ।
लव जिहाद ट्यूशन के द्वारा (भाग 9) :-
पहले बात करते हैं होम ट्यूशन की जिसमें माता पिता बच्चों के लिए कोई न कोई ट्यूटर घर पर बुलाते हैं और अधिक पैसा देते हैं ऐसे में मुस्लिम ट्यूटर हिन्दू घरों में उनकी बेटियों को पढ़ाने के लिए भी घुसने लगे हैं और घर और गली की पूरी रेकी करते हैं । भोली भाली बच्चियों को बहलाकर ये लोग अनेक प्रलोभन देकर वहीं से गायब कर लेते हैं या फिर शोषण करते रहते हैं ।
क्योंकि हिन्दू माता पिता तो वैसे ही अंधे होते हैं समाज में उनके आसपास क्या क्या घटनाएँ घट रही हैं उन्हें इससे कोई सरोकार नहीं रहता बस अपनी दाल रोटी से ही मतलब रखते हैं । दूसरी बात करेंगे हम ट्यूशन सेंटर की जिनका संचालन मुसलमान करने लगे हैं और मुसलमान टीचर उसमें ट्यूशन पढ़ाते हैं , वे हिन्दू लड़कियों पर विशेष ध्यान देते हैं और वहाँ पढ़ने आने वाले मुसलमान लड़कों से सांठगांठ करके हिन्दू लड़कियाँ खराब करने में पूरा सहयोग देते हैं।
मान लें दो हिन्दू लड़कियाँ मुसलमान बॉयफ्रेंड रखी हैं तो वे दोनों मुस्लिम लड़के अपने तीसरे चौथे दोस्त के लिए भी उनसे कोई और हिन्दू लड़की का जुगाड़ करने को बोलते हैं तो ऐसे में ये लड़कियाँ स्वयं तो खराब होती ही हैं परन्तु औरों को भी अपने साथ खराब करती हैं । ट्यूशन सेंटरों में वैसे ही गर्लफ्रैंड बॉयफ्रेंड होना आम सी बात हो गई है और हर तीसरी चौथी हिन्दू लड़की का बॉयफ्रेंड मुसलमान होता है ।
यदि उस सेंटर में कोई मुसलमान लड़की पढ़ने भी आती है तो उसपर मुसलमान लड़कों की निगरानी रहती है कि ये किसी हिन्दू से न फंस जाए और उस लड़की को उसका बाप या भाई ही छोड़ने आता है । लेकिन हिन्दू लड़कों के शरीरों में तो वैसे ही खून नहीं बचा जो खौल जाएगा !! इसलिए हिन्दू लड़कियाँ मुसलमानों के साथ घूम रही हों उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता ।
लव जिहाद बॉलीवुड के द्वारा (भाग 10) :-
80 के दशक में पाकिस्तान की ISI की दृष्टि भारत के हिन्दी सिनेमा यानी कि बॉलीवुड पर पड़ी और उसे लगा कि इसके द्वारा भारत की हिन्दू लड़कियों को बड़ी संख्या में बिगाड़ा जा सकता है और मुस्लिम प्रेमी बनाया जा सकता है । इस लिए उन्होंने दाऊद जैसे गुंडों के द्वारा हाजी मस्तान की सहायता से इसमें पैसा लगाना शुरू किया, बड़ी संख्या में इसमें स्क्रिप्ट राइटरों को खरीदा गया और बड़ी बड़ी म्यूजिक कम्पनी में शेयर खरीदे गए और हर क्षेत्र में पाकिस्तान परस्त मुसलमान बिठाए गए जो नहीं बिका वो गुलशन कुमार की तरह मरवा दिया गया ।
और फिल्मों में भाई बहन के गीतों, भजन आरतियों का स्थान अल्लाह मौला, इश्क मुहब्बत आदि ने ले लिया और जो आज आप हिन्दू लड़कियों में शाहरुख, आमिर, सैफ आदि खानों के प्रति जो क्रेज़ देख रहे हो वो एक ही दिन में नहीं आया है !! इसके लिए बॉलीवुड के मुस्लिम संगठनों ने पूरी मेहनत की है और धीरे धीरे हिन्दू लड़कियों के दिमाग को घुमाया गया है । इसलियव एक मॉडर्न हिन्दू लड़की से आप अपने ही धर्म या संस्कृति पर बात करके देख लो तो वो ऐसे आढ़ा टेढ़ा मुँह बनाकर एटीट्यूड दिखाने लगेगी और खान हीरोज़ आदि का नाम सुनते ही ऐसे रिएक्ट करवेगी जैसे पता नहीं जैसे आपने उसकी नब्ज पकड़ ली हो ।
इनमें से अधिक लड़कियों को ये नहीं पता होगा कि श्रीराम जी के पिता जी का नाम क्या था ? बल्कि ये पता होगा कि शाहरुख खान रात को क्या खाता है और कितने बजे सोता है ? यही कारण है कि हर चौथी हिन्दू लड़की मुसलमान लड़के में शाहरुख, आमिर, इमरान को देखने लगी है । स्कूल कालेज में भी देख लें तो हिन्दू लड़कियां अधिकतर फिल्मी स्टोरी या टीवी सीरियलों पर चर्चा करती मिलेंगी । आप ध्यान से देखना एक हिन्दू लड़की अपनी बॉलीवुड की ही काल्पनिक दुनिया में खोई मिलेगी कानों में हैडफोन ठूसकर गाने सुनती रहेगी और अपने ही विचारों में मस्त अपने आप में हीरोइन बनती रहेगी, स्वयं को एंजल या हॉट बेब समझती मिलेगी ।
ये बॉलीवुड की गंदगी हजारों हिन्दू लड़कियों को बर्बाद कर चुकी है और इसी से लड़कियाँ मुसलमानों के साथ भाग चुकी हैं । हिन्दू लड़कियों को धर्मपरिवर्तन के बाद अपार कष्ट सहने पड़ते हैं गाय भैंस तथा बकरे के मांस बनाना पड़ता है खाना पड़ता है तथा कभी कभी कई लोगों के साथ सोना पड़ता है जी भरने पर कोठे पर भी कई लड़कियों को बेच दिया जाता है ।
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