बुधवार, 23 सितंबर 2020

लो लौट आया हुँ मैं...


लो लौट आया हुँ मैं
हारा नहीं था मैं
बस कुछ पल के लिए ठहरा था
कोशिश बहुत की ज़माने ने मुझे रोकने की
मैं हर मुश्किल को छोड़ आया हुँ
वक्त के साथ थोड़ा खो गया था मैं
मस्त नींद मे कुछ पल सो गया था मैं
दुनियाँ में मद मस्त हो गया था मैं
अब फिर मैं सब कुछ छोड़ आया हुँ
लो फिर लौट आया हुँ मैं......
लो फिर लौट आया हुँ मैं......

एक बहता हुआ हवा हूं, बहकर फिर, से लौट जाऊंगा मैं
दूर कहीं उन सितारों में, फिर से खो जाऊंगा मैं
एक गहरी नींद में, जाने कब सोया था मैं
फिर उस गहरी नींद में सोने चला जाऊंगा मैं
फिर से लौट जाऊंगा मैं......
हाँ फिर से लौट जाऊंगा मैं......

श्याम विश्वकर्मा @ShyamV_ 


शनिवार, 5 सितंबर 2020

फ़िल्म अभिनेत्रियां...

साल भर पहले प्रियंका चोपड़ा भारत में स्थित रोहंगिया मुसलमानो के कैम्प में उनसे मिलने चली गयी थी, ये खबर तब पूरी दुनिया में दिखाई गयी थी असल में वो गयी नहीं थी बल्कि उन्हें भेजा गया था, एक नैरेटिव सेट किया गया की रोहंगिया मुस्लमान बहुत पीड़ित है बेचारे है उन्हें भारत से ना निकाला जाय, भारत के मुसलमानो ने भी इसका स्वागत किया।

साल भर पहले दीपिका पादुकोण jnu  पहुंच गयी थी caa  और nrc  के विरोध में वो अलग बात है की इसके चलते उनकी फिल्म छपाक फ्लॉप हो गयी, स्वरा भास्कर को जानते ही होंगे आप एक फिल्म में अपने अंग विशेष में ऊँगली करने का सीन भी दे चुकी हैं ये ये भी मुसलमानो के समर्थन में CAA  और NRC  का विरोध करने पहुंची थी ।

ये बॉलीवुड की वैश्याएं मुसलमानो के समर्थन में खुल के उतरती है उनकी बातों को वैश्विक रूप से पूरी दुनिया में पहुँचाती है क्या आज तक किसी मुस्लमान या सेक्युलर लिबरल ने ये कहा की तुम तो बॉलीवुड की रंडी हो वैश्या हो तुम क्यों हमारा समर्थन कर रही हो ? हमें नहीं चाहिए तुम्हारा समर्थन क्या आज तक आपने किसी मुसलमान के मुँह से ये बाते सुनी की प्रियंका चोपड़ा तो हॉलीवुड की web सीरीज में नंगी होकर एक विदेशी कलाकार के साथ काम कर रही है ये हमारा समर्थन क्यों कर रही है ? नहीं सुना होगा ? क्या आपने किसी मुस्लमान को दीपिका या फिर किसी भी भांड सेक्युलर बॉलीवुड अभिनेत्री का विरोध करते देखा है ? नहीं ना ?

लेकिन हिन्दू समाज में समस्या है उसकी बंद और छोटि सोच अभी कल ही मैंने एक कमेंट में देखा की किसी पोस्ट पे कई महानुभावों ने कंगना राणावत पर अपने विचार रखे थे,उनमे से एक ने कंगना की कई पुरानी फिल्मों में फिल्माए गये उनके बिकनी सीन और कई टॉपलेस वीडियोस और फोटो दिखाकर पूछा क्या बिकनी पहनने वाली खुद ड्रग्स लेने वाली हमें राष्ट्रवाद  सिखाएगी, B  ग्रेड की अभिनेत्री पायल रोहतगी क्या हमें देश भक्ति सिखाएगी ?

बिलकुल सही बात है, उन लोगों की तैयारी पूरी है उन्होंने तो एक पूर्व मिस वर्ल्ड को रोहंगिया कैम्प में भेज कर सहानभूति इक्कठा कर ली, क्या आपके पास भी कोई ऐसा चेहरा है जो कश्मीर में कश्मीरी पंडितों के राहत कैम्पों में जाकर उनकी भी बात दुनिया तक पहुचाये की कैसे अपने ही देश में तीन लाख से ज्यादा कश्मीरी हिन्दू एक निर्वासित और भखारियों से भी बत्तर जीवन जीने पर मजबूर है ?

क्या कोई एक चेहरा है आपके पास जो BHU  जैसे राष्ट्रवादी विश्व विद्यालय में जाकर दीपिका की तरह  caa  NRC  का समर्थन कर सके ?? नहीं ना, क्यों की अगर कोई बॉलीवुड की अभिनेत्री या अभिनेता  ऐसा समर्थन करेगा भी तो हम उसे  फ़िल्मी भांड कहेंगे, क्यों की उसने कई फिल्मों में अधनग्न दृध्य दिए हैं, बिकनी पहनी है इसलिए वो राष्ट्रवादी नहीं है।

मैं बॉलीवुड में किसी भी हीरो हीरोइन को तवज्जो नहीं देता, ना ही उन्हें राष्ट्रवादी मानता हु, मेरा यही मानना है की सभी अपना फायदा नुक्सान देखकर ही राष्ट्रवादी या सेक्युलर बनते है, अभी इसी प्रियंका या दीपका को आप दस करोड़ दीजिये, फिर देखिएगा ये लोग कैसे वन्दे मातरम और भारत माता की जय गाने लगते हैं, कोई अगर हमारे समर्थन में खड़ा हो रहा है तो उसमे मीन मेख मत निकालिये, कंगना और पायल रोहतगी जिस इंडस्ट्री  में काम करती है उसमे खुलापन आम बात है, पायल रोहतगी को लोग B  ग्रेड की दो कौड़ी की अभिनेत्री कहते हैं, जो जिस्म की नुमाईस करती है ,,ठीक है मान लिया, जिस्म दिखाकर ही पैसे कमाए हैं उसने कम से कम देश को गाली देकर अपनी सेना को गाली देकर तो अपनी जेब नहीं भरी।

ये दोनों अभिनेत्रियां नाचने गाने वाली लौंडियाँ है ठीक है मनाता हूँ ,,लेकिन कम से कम इन्हे ये तो पता है की जिस देश में उन्हें इज्जत और पैसा मिला शोहरत मिली उसकी ये लोग लाज रखते हैं उसे अपना मानते है, राष्ट्र और उसकी सेना को ये सम्मान देते है, यही बहुत है।

अब ये राष्ट्रवाद का युद्ध  उस अवस्था में पहुंच चूका है जहाँ हमें बस ये देखना है की कौन हमारे साथ है और कौन खिलाफ, जो साथ है वो हमारा अपना है और जो साथ नहीं है वो दुश्मन है।

खुद फैसला कीजिये कौन राष्ट्रवादी है।


मंगलवार, 11 अगस्त 2020

थोड़ा थक गया हुँ...

थोड़ा थक गया हूँ,
दूर निकलना छोड़ दिया है,
ऐसा नहीं की मैने चलना छोड़ दिया है ।


फासले अक्सर रिश्तों में दूरी बढ़ा देते है,
पर ऐसा नहीं है कि मैंने अपनों से मिलना छोड़ दिया है ।


हाँ ज़रा अकेला हूँ दुनिया की भीड़ मे,
पर ऐसा नहीं है कि मैंने अपनापन छोड़ दिया है


याद आज भी करता हूँ अपने सभी अपनों को,
परवाह भी है मन मे बस कितना करता हूँ ये बताना छोड़ दिया है ।

थोड़ा थक गया हूँ,
दूर निकलना छोड़ दिया है,
ऐसा नहीं है कि मैंने चलना छोड़ दिया है,
पर अब भीड़ मे रहना छोड़ दिया है ।


गुलज़ार...

गुरुवार, 6 अगस्त 2020

ठाकरे परिवार...

इस बार का झगड़ा ठाकरे परिवार के लिए सामान्य झगड़ा नहीं है...
राजनीतिक गोटियाँ बिछ चुकी हैं..
राजनीतिक, कूटनीतिक चालें दोनों पक्षों से चलना शुरू हो चुकी हैं..

जो लोग बीजेपी को जानते हैं वे यह भी जानते होंगे कि वे बहुत दिनों बाद भी बहुत छोटे-छोटे घावों तक के बदले लेते हैं।

महाराष्ट्र में बीजेपी के साथ न जाकर उद्धव ठाकरे ने बीजेपी और मोदी-शाह की जो बेइज्जती की थी मोदी-शाह उसके गहरे घाव लिए बैठे हैं।

वे झुक सकते थे, संघ के बीच-बचाव करने से सरकार बन भी सकती थी लेकिन इस बार मोदी-शाह ने शिवसेना से ख़ुद को दूर करना ही ज़रूरी समझा।

आने वाले दिनों में ठाकरे परिवार की कमर टूटने वाली है, यह तय है... लिखकर रख लीजिए...
उद्धव भी अच्छी तरह से जानते हैं कि उन्होंने आग में हाथ दे दिया है इसलिए अब वे विकल्प की तरफ़ तेज़ी से ख़ुद को फ्रेम्ड कर रहे हैं।

जिन्हें लग रहा है कि हिंदुत्ववादी शिवसेना, अचानक सेक्युलर क्यों होना चाहती है तो इसकी वज़ह यही है कि वे लोग मोदी-शाह के इरादे भाँप गए हैं। 

इस देश के पिछले 30-40 सालों की राजनीति का ट्रैक रिकॉर्ड उठाकर देख लें, मोदी-शाह से भिड़ने वालों के करियर ख़त्म हो गए हैं।
यह दोनों अज़ीब तरह से राजनीति करते हैं, एकदम ग़ैर पारंपरिक। 
निर्मम, क्रूर, जो कि आज के परिप्रेक्ष्य में जरूरी भी है ।

आप विपक्ष की बात कर रहे हैं, गुजरात में केशुभाई पटेल की तूती बोलती थी, बीजेपी में आडवाणी सर्वेसर्वा थे, सञ्जय जोशी बड़े नाम थे, सुषमा जी दिल्ली लॉबी की मज़बूत नेत्री थीं, गड़करी संघ में मज़बूत थे, ये सब अटल जी के बाद महत्त्वपूर्ण नेता माने जाते थे...

सोचिए, इतने बड़े बड़े धुरंधरों को साइड करना, मुश्किल ही नहीं नामुमकिन है.. कोई भी आम राजनेता ऐसा नहीं कर पायेगा... यह सब ईश्वरीय कारनामें है... ईश्वरीय सत्ता चाहती है कि 21 वीं सदी भारत की हो, भारत विश्व गुरु बन सनातन संस्कृति का लोहा मनवाए.. इसलिए यह सब दिव्य कारनामे होते चले जा रहे हैं... यही कारण है कि प्रभु श्री राम के शुभाशीर्वाद से विश्व के सर्वश्रेष्ठ राजनीतिक व्यक्तित्व मोदी-शाह की इस दिव्य जोड़ी ने सबको ठिकाने लगा दिया.. 

अटल बिहारी मोदी को पनिशमेंट देने गए थे, लेकिन हुआ उल्टा, वे ख़ुद अलग-थलग पड़ गए। चुनाव तक हार गए थे। 6 साल के पीएम 120 सांसदों पर सिमट गए.. अटल जी की हार.. यह बेहद आश्चर्यचकित करने वाला था.. पूरे भारत में भाजपा का साइनिंग इंडिया चला.. लेकिन परिणाम हार के रूप में मिला.. शायद ईश्वरीय सत्ता भी अटल जी की नरम कार्यशैली को पसंद नहीं कर रही थी.. क्योंकि राष्ट्रहित के लिए कुछ कार्य सिद्धांत व नीतियों से अलग हटकर किये जाते हैं.. वह अटल जी जैसा सरल व सीधा व्यक्तित्व नहीं कर सकता था.. उसके लिए कुटिल चालें आवश्यक थीं.. मोदी व शाह की यह जोड़ी इन चालों में कुशल है.. सनातन संस्कृति व हिंदुत्व इन दोनों की नस नस में कूट कूट कर भरा है.. इसलिए ईश्वरीय सत्ता ने इन दोनों महारथियों पर अपनी अनुकम्पा व दिव्य आशीष दे, भारत वर्ष की राजनीति में इन्हें विधर्मियों व सेक्युलर गैंग के सामने उतार दिया..

न जाने कैसी राजनीतिक समझ है इनकी, न जाने कैसी वैचारिक तैयारी है इनकी, इनका रोडमैप और घेरने के सारे शस्त्र सदैव इनके पास रहते हैं।

सॉनियाँ, राहुल, प्रियंका, अखिलेश, लालू, ममता, केजरीवाल, मुलायम, मायावती, देवेगौड़ा, शरद पवार जैसे राजनीति के कुशल खिलाड़ी भी इन दोनों की चालों से न बच सके... गत लोकसभा चुनाव में इनके चक्रव्यूह को इस जोड़ी ने तार तार कर दिया, पूरा चक्रव्यूह बुरी तरह से ध्वस्त कर दिया.. आज के समय में उपर्युक्त नेताओं में कई अपने अस्तित्व के लिए लड़ रहे हैं... कई राजनीतिक दल समाप्ति की और हैं... राजनीतिक वजूद खत्म होता चला जा रहा है... इन जातिवादियों व परिवारवादियों पर अस्तित्व का संकट मंडराने लगा है...
सबसे आश्चर्यजनक यह था कि सपा बसपा के मजबूत गठबन्धन के किले को यूपी से बुरी तरह ध्वस्त कर रौंद दिया था... 

आप स्वयं देखिए और समझिए कि कश्मीर जैसा संवेदनशील मुद्दा, तीन तलाक़, एन.आर.सी., सी.ए.ए., राममंदिर- आप ठीक से सोचिए सारे के सारे असम्भव मुद्दे थे,
इन लोगों ने कानून के दायरे में रहकर सारे हल कर लिए... राम मन्दिर की पूरी जमीन हिंदुओं की ही थी और हिन्दुओं को दिलवा भी दी.. सुई की नोंक के बराबर भी भूमि मुस्लिम न ले पाए.. धारा 370 व 35 A को जड़ से ही उखाड़ फेंका, जिसको सभी असंभव समझते थे..

तमाम राजनीतिक घृणाओं के बावज़ूद आपको इन दोनों से सीखना तो चाहिए कि देखते ही देखते आख़िर कैसे पूरे सिस्टम को अपनी तरफ़ झुका लिया है.. इसलिए मैं कहता हूं मोदी जी साम दाम दंड भेद सब नीतियों में निपुण है, और वर्तमान में इसके बगैर हिंदू राष्ट्र निर्माण कि कल्पना भी नहीं की जा सकती ।

कोई माने या न माने.. यह मोदी व शाह की जोड़ी दिव्य है व इनपर ईश्वरीय अनुकम्पा है.. प्रभु श्री राम ने इनको भारत वर्ष में विलुप्त होती जा रही सनातन संस्कृति को पुनर्स्थापन हेतु अवतरित किया है..

हो सकता है कि मेरी विचारधारा और आपकी विचारधारा अलग अलग हो, लेकिन राष्ट्र हित में एक बार इस बारे में सोचिएगा जरूर ।

दोनों में कुछ बात तो है। 
क्या आप नहीं मानते ??

जय जय श्री राम...🚩🚩🙏
जय हिंदू राष्ट्र ...🚩🚩🙏

शनिवार, 4 जुलाई 2020

शनिवार, 13 जून 2020

गोडसे और गाँधी

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सुप्रीम कोर्ट से अनुमति मिलने पर प्रकाशित किया गया 
60 साल तक भारत में प्रतिबंधित रहा नाथूराम गोडसे 
का अंतिम भाषण -

                    मैंने_गांधी_को_क्यों_मारा !

30 जनवरी 1948 को नाथूराम गोड़से ने महात्मा गांधी की गोली मारकर हत्या कर दी थी लेकिन नाथूराम गोड़से घटना स्थल से फरार नही हुए बल्कि उसने आत्मसमर्पण कर दिया, नाथूराम गोड़से समेत 17 देशभक्तों पर गांधी की हत्या का मुकदमा चलाया गया इस मुकदमे की सुनवाई के दरम्यान #न्यायमूर्ति_खोसला से नाथूराम जी ने अपना वक्तव्य स्वयं पढ़ कर जनता को सुनाने की अनुमति माँगी थी जिसे न्यायमूर्ति ने स्वीकार कर लिया था पर यह कोर्ट परिसर तक ही सिमित रह गयी क्योकि सरकार ने नाथूराम के इस वक्तव्य पर प्रतिबन्ध लगा दिया था लेकिन नाथूराम के छोटे भाई और गांधी की हत्या के सह-अभियोगी गोपाल गोड़से ने 60 साल की लम्बी कानूनी लड़ाई लड़ने के बाद सुप्रीम कोर्ट में विजय प्राप्त की और नाथूराम का वक्तव्य प्रकाशित किया गया l

                     मैंने गांधी को क्यों मारा

नाथूराम गोड़से ने गांधी हत्या के पक्ष में अपनी 
150 दलीलें न्यायलय के समक्ष प्रस्तुति की
नाथूराम गोड़से के वक्तव्य के कुछ मुख्य अंश....
नाथूराम जी का विचार था कि गांधी की अहिंसा हिन्दुओं 
को कायर बना देगी कानपुर में गणेश शंकर विद्यार्थी को मुसलमानों ने निर्दयता से मार दिया था महात्मा गांधी सभी हिन्दुओं से गणेश शंकर विद्यार्थी की तरह अहिंसा के मार्ग पर चलकर बलिदान करने की बात करते थे नाथूराम गोड़से को भय था गांधी की ये अहिंसा वाली नीति हिन्दुओं को कमजोर बना देगी और वो अपना अधिकार कभी प्राप्त नहीं कर पायेंगे...


1919 को अमृतसर के जलियाँवाला बाग़ गोलीकांड 
के बाद से पुरे देश में ब्रिटिश हुकुमत के खिलाफ 
आक्रोश उफ़ान पे था...
भारतीय जनता इस नरसंहार के #खलनायक_जनरल_डायर 
पर अभियोग चलाने की मंशा लेकर गांधी के पास गयी 
लेकिन गांधी ने भारतवासियों के इस आग्रह को समर्थन 
देने से साफ़ मना कर दिया 
महात्मा गांधी ने खिलाफ़त आन्दोलन का समर्थन करके भारतीय राजनीति में साम्प्रदायिकता का जहर घोल दिया  महात्मा गांधी खुद को मुसलमानों का हितैषी की तरह पेश करते थे वो #केरल_के_मोपला_मुसलमानों द्वारा वहाँ के 
1500 हिन्दूओं को मारने और 2000 से अधिक हिन्दुओं 
को मुसलमान बनाये जाने की घटना का विरोध 
तक नहीं कर सके 
कांग्रेस के त्रिपुरा अधिवेशन में #नेताजी_सुभाष_चन्द्रबोस 
को बहुमत से काँग्रेस अध्यक्ष चुन लिया गया किन्तु गांधी ने #अपने_प्रिय_सीतारमय्या का समर्थन कर रहे थे गांधी ने सुभाष चन्द्र बोस से जोर जबरदस्ती करके इस्तीफ़ा देने के लिए मजबूर कर दिया...
23 मार्च 1931 को भगत सिंह सुखदेव और राजगुरु को फांसी दे दी गयी पूरा देश इन वीर बालकों की फांसी को 
टालने के लिए महात्मा गांधी से प्रार्थना कर रहा था लेकिन गांधी ने भगत सिंह की हिंसा को अनुचित ठहराते हुए देशवासियों की इस उचित माँग को अस्वीकार कर दिया 
गांधी #कश्मीर_के_हिन्दू_राजा_हरि_सिंह से कहा कि 
#कश्मीर_मुस्लिम_बहुल_क्षेत्र_है_अत:वहां का शासक 
कोई मुसलमान होना चाहिए अतएव राजा हरिसिंह को 
शासन छोड़ कर काशी जाकर प्रायश्चित करने जबकि  हैदराबाद के निज़ाम के शासन का गांधी जी ने समर्थन किया था जबकि हैदराबाद हिन्दू बहुल क्षेत्र था गांधी जी की नीतियाँ 
धर्म के साथ बदलती रहती थी उनकी मृत्यु के पश्चात 
सरदार पटेल ने सशक्त बलों के सहयोग से हैदराबाद को 
भारत में मिलाने का कार्य किया गांधी के रहते ऐसा करना संभव नहीं होता 
पाकिस्तान में हो रहे भीषण रक्तपात से किसी तरह से अपनी जान बचाकर भारत आने वाले विस्थापित हिन्दुओं ने दिल्ली की खाली मस्जिदों में जब अस्थाई शरण ली मुसलमानों ने मस्जिद में रहने वाले हिन्दुओं का विरोध किया जिसके आगे गांधी नतमस्तक हो गये और गांधी ने उन विस्थापित हिन्दुओं को जिनमें वृद्ध स्त्रियाँ व बालक अधिक थे मस्जिदों से खदेड़ बाहर ठिठुरते शीत में रात बिताने पर मजबूर किया गया 
महात्मा गांधी ने दिल्ली स्थित मंदिर में अपनी प्रार्थना सभा 
के दौरान नमाज पढ़ी जिसका मंदिर के पुजारी से लेकर 
तमाम हिन्दुओं ने विरोध किया लेकिन गांधी ने इस विरोध को दरकिनार कर दिया लेकिन महात्मा गांधी एक बार भी किसी मस्जिद में जाकर गीता का पाठ नहीं कर सके 
लाहौर कांग्रेस में वल्लभभाई पटेल का बहुमत से विजय 
प्राप्त हुयी किन्तु गान्धी अपनी जिद के कारण यह पद जवाहरलाल नेहरु को दिया गया गांधी अपनी मांग 
को मनवाने के लिए अनशन-धरना-रूठना किसी से बात 
न करने जैसी युक्तियों को अपनाकर अपना काम 
निकलवाने में माहिर थे इसके लिए वो नीति-अनीति का लेशमात्र विचार भी नहीं करते थे
14 जून 1947 को दिल्ली में आयोजित अखिल भारतीय कांग्रेस समिति की बैठक में भारत विभाजन का प्रस्ताव अस्वीकृत होने वाला था लेकिन गांधी ने वहाँ पहुँच कर 
प्रस्ताव का समर्थन करवाया यह भी तब जबकि गांधी  
ने स्वयं ही यह कहा था कि देश का विभाजन उनकी लाश 
पर होगा न सिर्फ देश का विभाजन हुआ बल्कि लाखों 
निर्दोष लोगों का कत्लेआम भी हुआ लेकिन गांधी 
ने कुछ नहीं किया....
धर्म-निरपेक्षता के नाम पर मुस्लिम तुष्टीकरण की नीति के जन्मदाता महात्मा गाँधी ही थे जब मुसलमानों ने हिंदी को राष्ट्रभाषा बनाये जाने का विरोध किया तो महात्मा गांधी ने सहर्ष ही इसे स्वीकार कर लिया और हिंदी की जगह हिन्दुस्तानी (हिंदी+उर्दू की खिचड़ी) को बढ़ावा देने लगे  बादशाह राम और बेगम सीता जैसे शब्दों का 
चलन शुरू हुआ...
कुछ एक मुसलमान द्वारा वंदेमातरम् गाने का विरोध करने 
पर महात्मा गांधी झुक गये और इस पावन गीत को भारत 
का राष्ट्र गान नहीं बनने दिया 
गांधी ने अनेक अवसरों पर शिवाजी महाराणा प्रताप व 
गुरू गोबिन्द सिंह को पथभ्रष्ट देशभक्त कहा वही दूसरी 
ओर गांधी मोहम्मद अली जिन्ना को क़ायदे-आजम 
कहकर पुकारते था
कांग्रेस ने 1931 में स्वतंत्र भारत के राष्ट्र ध्वज बनाने के 
लिए एक समिति का गठन किया था इस समिति ने 
सर्वसम्मति से चरखा अंकित भगवा वस्त्र को भारत का 
राष्ट्र ध्वज के डिजाइन को मान्यता दी किन्तु गांधी जी 
की जिद के कारण उसे बदल कर तिरंगा कर दिया गया 
जब सरदार वल्लभ भाई पटेल के नेतृत्व में सोमनाथ 
मन्दिर का सरकारी व्यय पर पुनर्निर्माण का प्रस्ताव पारित किया गया तब गांधी जी जो कि मन्त्रीमण्डल के सदस्य 
भी नहीं थे ने सोमनाथ मन्दिर पर सरकारी व्यय के प्रस्ताव 
को निरस्त करवाया और 13 जनवरी 1948 को आमरण अनशन के माध्यम से सरकार पर दिल्ली की मस्जिदों का सरकारी खर्चे से पुनर्निर्माण कराने के लिए दबाव डाला 
भारत को स्वतंत्रता के बाद पाकिस्तान को एक समझौते के तहत 75 करोड़ रूपये देने थे भारत ने 20 करोड़ रूपये 
दे भी दिए थे लेकिन इसी बीच 22 अक्टूबर 1947 को पाकिस्तान ने कश्मीर पर आक्रमण कर दिया केन्द्रीय मन्त्रिमण्डल ने आक्रमण से क्षुब्ध होकर 55 करोड़ की 
राशि न देने का निर्णय लिया | जिसका महात्मा गांधी ने 
विरोध किया और आमरण अनशन शुरू कर दिया जिसके परिणामस्वरूप 55 करोड़ की राशि भारत ने पाकिस्तान 
को दे दी महात्मा गांधी भारत के नहीं अपितु पाकिस्तान 
के राष्ट्रपिता थे जो हर कदम पर पाकिस्तान के पक्ष में 
खड़े रहे फिर चाहे पाकिस्तान की मांग जायज हो या 
नाजायज गांधी ने कदाचित इसकी परवाह नहीं की 
उपरोक्त घटनाओं को देशविरोधी मानते हुए नाथूराम 
गोड़से जी ने महात्मा गांधी की हत्या को न्यायोचित 
ठहराने का प्रयास किया...
नाथूराम ने न्यायालय में स्वीकार किया कि माहात्मा गांधी बहुत बड़े देशभक्त थे उन्होंने निस्वार्थ भाव से देश सेवा की  
मैं उनका बहुत आदर करता हूँ लेकिन किसी भी देशभक्त 
को देश के टुकड़े करने के एक समप्रदाय के साथ पक्षपात करने की अनुमति नहीं दे सकता हूँ गांधी की हत्या के 
सिवा मेरे पास कोई दूसरा उपाय नहीं था...!!
#नाथूराम_गोड़सेजी द्वारा अदालत में 
दिए बयान के मुख्य अंश...
मैने गांधी को नहीं मारा
मैने गांधी का वध किया है..
वो मेरे दुश्मन नहीं थे परन्तु उनके निर्णय राष्ट्र के 
लिए घातक साबित हो रहे थे...
जब व्यक्ति के पास कोई रास्ता न बचे तब वह मज़बूरी 
में सही कार्य के लिए गलत रास्ता अपनाता है...
मुस्लिम लीग और पाकिस्तान निर्माण की गलत निति 
के प्रति गांधी की सकारात्मक प्रतिक्रिया ने ही मुझे 
मजबूर किया...
पाकिस्तान को 55 करोड़ का भुगतान करने की 
गैरवाजिब मांग को लेकर गांधी अनशन पर बैठे..
बटवारे में पाकिस्तान से आ रहे हिन्दुओ की आपबीती 
और दुर्दशा ने मुझे हिला के रख दिया था...
अखंड हिन्दू राष्ट्र गांधी के कारण मुस्लिम लीग 
के आगे घुटने टेक रहा था...
बेटो के सामने माँ का खंडित होकर टुकड़ो में बटना 
विभाजित होना असहनीय था...
अपनी ही धरती पर हम परदेशी बन गए थे..
मुस्लिम लीग की सारी गलत मांगो को 
गांधी मानते जा रहे थे..
मैने ये निर्णय किया कि भारत माँ को अब और 
विखंडित और दयनीय स्थिति में नहीं होने देना है 
तो मुझे गांधी को मारना ही होगा
और मैने इसलिए गांधी को मारा...!!
मुझे पता है इसके लिए मुझे फाँसी ही होगी 
और मैं इसके लिए भी तैयार हूं...
और हां यदि मातृभूमि की रक्षा करना अपराध हे 
तो मै यह अपराध बार बार करूँगा हर बार करूँगा ...
और जब तक सिन्ध नदी पुनः अखंड हिन्द में न बहने 
लगे तब तक मेरी अस्थियो का विसर्जन नहीं करना...!!
मुझे  फाँसी देते वक्त मेरे एक हाथ में केसरिया ध्वज 
और दूसरे हाथ में #अखंड_भारत का नक्शा हो...
मै फाँसी चढ़ते वक्त अखंड भारत की जय 
जयकार बोलना चाहूँगा...!!
हे भारत माँ मुझे दुःख है मै तेरी इतनी 
ही सेवा कर पाया....!!
#नाथूराम_गोडसे

🙏 🙏🙏

शुक्रवार, 5 जून 2020

सरणार्थी भेड़िया...


😷🚩😷

एक भेड़िया था, जन्मजात धूर्त और मक्कार, एक जंगल मे उसने हिरण के बच्चे का शिकार किया और उसे खाने लगा, भेड़िये का परिवार भी उस हिरण के बच्चे का मांस खाने लगा, तभी मांस खाते वक्त भेड़िये और उसके बच्चे के गले में एक हड्डी अटक गई। बच्चा और भेड़िया दोनो तड़पने लगे, उन दोनों के गले लहूलुहान हो गए और उसमें गहरे घाव हो गए। भेड़िया भागा भागा तालाब किनारे रहने वाले सारस के पास पहुँचा और दया की भीख मांगने लगा- 
"सारस भाई मदद करो मेरे और बच्चे दोनों के गले में हड्डी फंस गयीं हैं...केवल तुम ही इसे निकाल सकते हो।"

 सारस को उसपर दया आ गयी, उसने अपनी लम्बी चोंच से दोनों के गले में फंसी हड्डी निकाली और जंगल के पत्तो से बनी औषधी उसके गले में लगाई, सारस रोजाना उनके खाने पीने का भी इंतजाम करता, एक हफ्ते कि चिकित्सा के बाद वे दोनों पूरी तरह ठीक हो गए, भेड़िये ओर उसके बेटे दोनों को उस सारस के रहने की जगह इतनी पसन्द आयी कि वे वही रहने लगे और सारस के दाना पानी को ही खाने लगें और उसपर अपना अधिकार जताने लगे।
  

कुछ दिनों बाद सारस ओर उसका परिवार उन दोनों की हरकतों से परेशान हो गया, उन्होंने भेड़िये से निवेदन किया कि अब वे स्वस्थ हो गए हैं तो अब इस जगह को छोड़कर जाने की कृपा करें, सारस के मुंह से यह सुनते ही भेड़िया भड़क उठा, उसने उल्टा सारस को धमकाना शुरू कर दिया, किन्तु सारस और उसका परिवार विनम्रतापूर्वक अपने घर को मुक्त करने का निवेदन करता रहा, किन्तु अंततः भेड़िये और उसके बच्चे ने क्रोधित होकर अपने सामुदायिक गुणों के अनुसार सारस पर हमला कर दिया और उसके पूरे परिवार को मारकर खा गये और उनकेे घर पर ही कब्जा करके रहने लगे......।
अब अमेरिका चलते है जहां दंगे भड़के हुए है,
 1982 में सोमालिया की राजधानी मोगादिशु में एक शांतिप्रिय परिवार में एक लड़की का जन्म हुआ उसका नाम रखा गया - "इल्हान ओमर"

जब सोमालिया में गृह युद्ध छिड़ा और लाखों लोग उस युद्ध में मारे जाने लगे तब मानवाधिकार संगठनों की सहायता से वह लड़की शरणार्थी बनकर अमेरिका आ गई,  अमेरिका ने उसके ऊपर दया करके उसे अपने यहां शरण दी और उसके जीवन यापन के लिए हर तरह की सुविधाएं मुहैया कराई जो आम अमेरिकी नागरिको को मिलती है।

अमेरिकी नागरिकता पाने के लिए उसने एक अमेरिकी नागरिक से विवाह भी किया जिससे उसे अमेरिका की नागरिकता मिल गई और अमेरिकी संसद का चुनाव जीतकर वह अमेरिका की सांसद भी बन गई,

अभी अमेरिका में एक अश्वेत की हत्या अमेरिकी पुलिसकर्मियों के हाथों हो जाने से जो दंगे हो रहे हैं उसमें इस शांतिप्रिय सांसद इल्हान ओमर की बेटी को कई जगह माइक लेकर दंगाइयों को भड़काते देखा जा रहा है, इतना ही नहीं वह अपने ट्विटर पर भी दंगाइयों को भड़का रही है और अमेरिका के वामपंथी हिंसक संगठन एंटीफा (ANTIFA) को सपोर्ट कर रही है, यानी जिस देश ने इनके ऊपर दया करके शरण दी, नागरिकता दी, सांसद बनाया उसी देश को अब ये जला रहे है।

भारत मे भी एक उपराष्ट्रपति थे जो जब तक पद पर रहे भारत की हर तरह की सुविधा को भोगा, पर जब पद से हटे तो उन्हें भारत खतरनाक लगने लगा उन्हें भारत मे रहने से डर लगने लगा।

तो सारांश यह है कि भेड़ियों को चाहे जितनी शरण दो, उच्च पद पर बैठा दो, उन्हें हर तरह की सुविधाएं घर बैठे मुहैया कराई जाए, भेड़िया हमेशा भेड़िया ही रहता है, भले ही वह शरणार्थी हो, वह अपने को 'शरण' देने वाले की ही 'अर्थी' निकाल देता है, क्योकि भेड़िये कभी अपना स्वभाव नहीं बदलते......

गुरुवार, 4 जून 2020

गाँव ( पहले और अब )

कड़वी_सच्चाई

ये जो #तस्वीर  है वो दो भाइयों के बीच बंटवारे के बाद की बनी हुई तस्वीर है। बाप-दादा के घर की देहली को जिस तरह बांटा गया है वह हर गांव-घर की असलियत को भी दर्शाता है। 



दरअसल हम #गांव के लोग जितने #खुशहाल😀 दिखते हैं उतने हैं नहीं। जमीनों के केस, पानी के केस, खेत-मेढ के केस, रास्ते के केस, मुआवजे के केस, व्याह शादी के झगढे, दीवार के केस,आपसी मनमुटाव, चुनावी रंजिशों ने समाज को खोखला कर दिया है। 

अब #गांव  वो नहीं रहे कि बस में गांव की #लड़की को देखते ही सीट खाली कर देते थे बच्चे। दो चार थप्पड गलती पर किसी #बुजुर्ग या #ताऊ  ने टेक दिए तो इश्यू नहीं बनता था तब। 
अब हम पूरी तरह बंटे हुए लोग हैं। गांव में अब एक दूसरे के उपलब्धियों का सम्मान करने वाले, प्यार से सिर पर हाथ रखने वाले लोग संभवत अब मिलने मुश्किल हैं। 

हालात इस कदर खराब है कि अगर पडोसी फलां व्यक्ति को वोट देगा तो हम नहीं देंगे। इतनी नफरत कहां से आई है लोगों में ये सोचने और चिंतन का विषय है। गांवों में कितने #मर्डर  होते हैं, कितने झगडे होते हैं और कितने केस अदालतों व संवैधानिक संस्थाओं में लंबित है इसकी कल्पना भी भयावह है। 

संयुक्त परिवार अब गांवों में एक आध ही हैं, #लस्सी_दूध  की जगह वहां भी ड्यू  कोका  पिलाई जाने लगी है। बंटवारा केवल #भारत  का नहीं हुआ था, #आजादी के बाद हमारा #समाज भी बंटा है और शायद अब हम भरपाई की सीमाओं से भी अब दूर आ गए हैं। अब तो वक्त ही तय करेगा कि हम और कितना बंटेंगे। 

एक दिन यूं ही बातचीत में एक #मित्र  ने कहा कि जितना हम पढे हैं दरअसल हम उतने ही बेईमान बने हैं। गहराई से सोचें तो ये बात सही लगती है कि पढे लिखे लोग हर चीज को मुनाफे से तोलते हैं और ये बात समाज को तोड रही है।
ये हकीकत लफसर गैंग की जो समाज व परिवार को बर्बाद करके रहेगी बचा लो अपने अपने #परिवारों को 😥😥 अपनी #रिश्तेदारियों को😥😥
इस आभासी दुनिया #फेसबुक  पर जो भाईचारा दिखाते हो मुझे लगता हैं वो सब #फर्जी दिखावा हैं 
अपने परिवार को एक करो फिर इधर #ज्ञान  बांटे तो बेहतर होगा.।।
🙏🙏🙏

मंगलवार, 26 मई 2020

लव जिहाद...

लव जिहाद स्कूलों में (भाग 1):- 
              स्कूलों में मुस्लिम लड़कियाँ अपनी हिन्दू सहेलियों की सेटिंग अपने मुस्लिम भाईयों से करवाती हैं और स्वयं हिन्दू लड़कों को भाई बनाकर रहती हैं , इसके इलावा स्कूल में जितने मुस्लिम अध्यापक होते हैं वे भी इस काम को अच्छे से अंजाम देते हैं वे कक्षा में सुंदर सुंदर और प्यारी हिन्दू बच्चियों को छाँटते हैं और स्कूल के रजिस्टर वगैरा से उनके और उनके परिवार के बारे में पूरी जानकारी जुटाते हैं फिर कुछ मुस्लिम लड़कों को तैयार करते हैं और किसी न किसी बहाने उन लड़कों को उन भोली भाली बच्चियों के इर्द गिर्द रखने में सहायता और प्रोत्साहन करते हैं।
         
             इसके इलावा जो पुरुष मुसलमान अध्यापक होते हैं वे वहां काम करने वाली हिन्दू अध्यापिकाओं को फंसाने के लिए अलग से कोई न कोई षडयंत्र करते रहते हैं, कभी मीठी मीठी बातों से,कभी उर्दू शायरी के द्वारा, तो कभी किसी न किसी काम के बहाने और बहुत तो शादीशुदा महिलाओं को भी फँसा लेते हैं । अधिकतर आप पाएंगे कि ऐसी ही बुद्धिहीन और बेशर्म हिन्दू अध्यापिकाएँ इनसे चिपकने भी लगती हैं और रोज़ा, नमाज़ और अल्लाह जैसे विषयों में बड़े चाव से दिलचस्पी लेती हैं भले ही जिनसे उनका दूर दूर तक कोई सम्बन्ध न भी हो।

            यदि स्कूल का मुख्याध्यापक ही मुसलमान हो तो फिर कहने ही क्या ? वह तो विशेष रूप से हिन्दू महिलाओं और बच्चियों को छाँटने लगता है । ऐसे ही स्कूलों में लव जिहाद जैसी घटनाओं का होना बड़ी आम बात है । जिससे हिन्दू बच्चियाँ और महिलाएँ लव जिहाद का शिकार होकर खराब और बर्बाद हो रही हैं। हिन्दू लड़कियों को धर्मपरिवर्तन के बाद अपार कष्ट सहने पड़ते हैं बच्चा पैदा करने की मशीन बनना पड़ता है तथा गाय भैंस तथा बकरे के मांस बनाना पड़ता है खाना पड़ता है तथा कभी कभी कई लोगों के साथ सोना पड़ता है जी भरने पर कोठे पर भी कई लड़कियों को बेच दिया जाता है ।



लव जिहाद कालेज यूनिवर्सिटी में ( भाग 2 ) :- 
               हिन्दू माता पिता अपनी लड़कियों को उच्च शिक्षा देने के लिए हर सम्भव प्रयास करते हैं और देश के अच्छे अच्छे कालेजों या यूनिवर्सिटीयों में पढ़ाते हैं । और तब लगभग 90% से अधिक हिन्दू लड़कियों को बॉलीवुड के प्रभाव के कारण बॉयफ्रेंड की आवश्यकता होने लगती है । इसके साथ ही वहाँ जो मुसलमान लड़के इस चीज़ को भांपते हुए हिन्दू लड़कियों से चिपक चिपक कर बात करने का प्रयत्न करने लगते हैं और लड़कियों की Assignment बनाना, नोट्स बनाना आदि का विशेष ध्यान रखते हैं और केन्टीन में ट्रीट देकर लड़कियों का विश्वास जीतते हैं जिससे कि ये हिन्दू लड़कियाँ किसी न किसी शोएब, अकरम, साज़िद, जुबैर आदि पर फिसलती जाती हैं।

               इसके इलावा कालेजों में मुसलमानों ने अपना एक अलग ही समूह बनाया होता है और मुसलमानों की अलग से फ्रेशर पार्टी भी होती हैं जिसमें सभी सीनियर और जूनियर आपस में मेल जोल बढ़ाकर एक दूसरे की सहायता करने का प्रयास करते हैं और कॉलेज में आने वाली हर नई और सुंदर दिखने वाली हिन्दू लड़की पर विशेष ध्यान देते हैं और उनको पटाने के लिए अपने मुसलमान ग्रुप को तरह तरह से उपाय बताते हैं । कालेजों में जो मुसलमान Faculity होती है वे लोग भी हिन्दू लड़कियों की Internal Marks इसी आधार पर लगाते हैं कि वो किस मुसलमान लड़के से फंसी है । और ये टीचर खुद भी ऐसे लड़कों को पूरा प्रोत्साहित करते हैं कि सुंदर सुंदर हिन्दू लड़कियों को खराब करो । कालेजों में इनका पूरा गैंग इसी काम को करता और अंजाम देता है ।



लव जिहाद ब्यूटी पार्लर में ( भाग 3 ) :-
                   अधिकतर बड़े घर की या मध्यम वर्गीय हिन्दू महिलाएँ अपने चेहरे को सवारने, थ्रेडिंग बनवाने आदि के लिए ब्यूटी पार्लर जाती हैं । और बहुत से ऐसे पार्लर होते हैं जिनका संचालन मुस्लिम महिलाएँ ही करती हैं । ये मुस्लिम महिलाएँ थ्रेडिंग आदि बनाते हुए यारी दोस्ती में उन महिलाओं से सारी जानकारी उनके घर के बारे में ले लेती हैं । उनकी हर भावना को बड़ा ही मीठा बनकर समझने का यत्न करती हैं और कभी कभी तो उन हिन्दू सहेलियों की सहायता तक करके भी उनका विश्वास जीत लेती हैं ऐसा करके ये सब वे अपने भाईयों या फिर अन्य मुसलमान पुरुषों को ये जानकारी देती हैं उनको इन महिलाओं का नम्बर और पता आदि देकर पीछे लग देती हैं।

                   जिससे अधिकतर शादीशुदा या फिर कुवारी लड़कियाँ इन तैयार किये मुसलमान लड़कों के आंख मटक्के में फंस जाती हैं । शादीशुदा महिला को फंसाने और भी सरल होता है क्योंकि ये पता है कि वो लड़के को शादी के लिए दबाव नहीं डाल सकती और अवैध सम्बन्ध जब तक चाहे रख सकती है । ऐसे ही ये महिलाएँ धड़ल्ले से लव जिहाद का शिकार हो जाती हैं ।



लव जिहाद गली मोहल्लों में ( भाग 4 ) :- 
                   मस्जिदों में हर शुक्रवार को रेडी वाला, फल वाला, कबाड़ वाला, शाल बेचने वाला, मैकेनिक, सफाई वाला, कचरे वाला हर मुसलमान मीटिंग करते हैं और हर हिन्दू गली मोहल्ले में जाकर अपना काम करने के बहाने हर घर में कितनी सुंदर सुंदर और जवान हिन्दू बेटीयाँ हैं, और कौन कौन सी सुंदर हिन्दू महिलाएँ हैं जो अपने पतियों से संतुष्ट नहीं हैं इन सबकी लिस्ट बनाते हैं और मस्जिदों पर आकर चर्चा करते हैं फिर योजना के अनुसार थोड़ा सुंदर दिखने वाले क्लीन शेव लड़कों को तैयार किया जाता है।

                 जिन्हें मस्जिदों के द्वारा ही पैसे और बाईक वगैरा दी जाती हैं तांकि वे नाम बदलकर हाथों में कलावा बांधकर, हिन्दू मोहल्ले के चक्कर लगाएँ और लिस्ट वाली हिन्दू लड़कियों को पटाएँ । तो कोई न कोई लड़की या महिला पट ही जाती है और पूर्व नियोजित तरीके से गायब करके अन्य किसी राज्य में ले जाई जाती है जहाँ पर उसका सामूहिक बलात्कार तक किया जाता है और कहीं फेंक दिया जाता है या फिर बेच दिया जाता है ।



लव जिहाद जिम में (भाग 5):- 
                 बड़े शहर के लड़कों और लड़कियों को अपने शरीर को सुंदर बनाने का 6 पैक एब्स का बहुत ही शौक होता है । और अब तो लड़के लड़कियों के जिम भी संयुक्त रूप में खुलते हैं । लगभग बहुत से जिम ट्रेनर अब मुसलमान युवा लड़के रखे जाने लगे हैं । वहाँ जिम करने आने वाली हिन्दू लड़कियों और कुछ तो महिलाएँ भी आती हैं उनको ये मुस्लिम लड़के साथ चिपक चिपक कर जिम सिखाते हुए प्यार के जाल में फंसा लेते हैं और पटाकर सैट कर लेते हैं क्योंकि ये लड़के अपने शरीर को देखने में फिट रखते हैं और जिनका शरीर देखकर ही हिन्दू लड़कियां वैसे ही लार टपकाने लगती हैं और तुरन्त फिसल जाती हैं ।

                 इन मुसलमान जिम ट्रेनरों को तो हिन्दू लड़की पटाने में अधिक परिश्रम भी नहीं करना पड़ता । अधिकतर ये मुसलमान लड़के 12 वर्ष से लेकर 24 वर्ष तक कि हिन्दू लड़किओम को टार्गेट करते हैं क्योंकि ये समय लड़कियों में बहुत से हार्मोन बदलते हैं और फिसलने के लिए सबसे सही समय है और ऊपर से हमारा बॉलीवुड तो जिंदाबाद है ही । इसलिए जिम ट्रेनिंग सेंटर में मुसलमान ट्रेनरों का होना कोई अकस्मात नहीं है । ऐसे ही नई नई ताज़ी जवान हुई हिन्दू बेटीयाँ बड़े नगर जैसे मुम्बई, दिल्ली, चण्डीगढ़, नोएडा आदि में खराब हो रही हैं ।



लव जिहाद हिन्दू घरों में (भाग 6) :- 
                 मुसलमान लड़के वैसे तो अपने ही झुंड में रहते हैं परन्तु विशेष रूप से उन हिन्दू लड़कों से शीघ्र ही मित्रता करते हैं जिनकी सुंदर सुंदर बहने होती हैं । उन हिन्दू लड़कों से तो ये ऐसी यारी दोस्ती निभाते हैं कि वे इनको अपना भाई तक मनाने लगते हैं और ऐसे उन मुसलमान लड़कों का इन हिन्दू दोस्तों के घरों में आना जाना, उठना बैठना, खाना पीना आदि आम बात हो जाती है । घरों में घुसकर ये मुसलमान लड़के उनकी बहनों , भाभियों से ऐसे घुल मिल जाते हैं जैसे गर्म पानी में शक्कर घुल जाती है ।

                 कभी भी देखना एक मुसलमान लड़का हिन्दू की लड़की पटाने के लिए जान तक देते को जाता है और हद से ज्यादा मीठा बोलता है । तो ऐसे ही उन बहनों, भाभियों के सामने इतना मीठा बोलता है और उनके बीच में अपने व्यवहार के कारण रच बस जाता है कि जैसे मानो वह उन्हीं के घर का सदस्य हो । और हर बात के लिए उस हिन्दू लड़के ही बहनें या भाभियाँ उस मुस्लिम लड़के पर पूरा विश्वास करने लग जाती हैं , और कभी कभी तो अपने पैसों से बाजार से उनके लिए सामान लेकर आना, अपने दोस्त की बहन को ट्यूशन या स्कूल आदि छोड़कर आना जैसे काम भी करने लगता है ।

                इसी अत्यंत विश्वास के कारण हिन्दू दोस्त की बहनें उससे किसी न किसी रूप में पट जाती हैं और भाग जाती हैं । कभी तो ये लोग उस लड़की को गायब करके किसी अन्य राज्य ले जाते हैं । कभी किसी भाभी या बहन की आपत्ति जनक फोटो खींचकर उसे ब्लैकमेल करके उसका शोषण करता रहता है और वो भी ठीक अपने हिन्दू दोस्त की नाक के नीचे । ऐसे ही बहुत से हिन्दू घर अपनी मूर्खता के कारण इन मुस्लिम लड़कों को घरों में घुसाकर अपनी बेटीयाँ खराब करवा रहे हैं । ( याद रखें ! एक मुसलमान लड़के की नज़र आपके घर की 5 साल की बच्ची से लेकर 60 साल की महिला तक होती है )



लव जिहाद सांस्कृतिक कार्यक्रमों के द्वारा (भाग 7):- 
                हिन्दू त्योहारों और अन्य सांस्कृतिक त्योहारों का आयोजन करने के लिए बहुत से समूह पैसा लगाते हैं और जो पैसा लगते हैं वे हर उस कार्यक्रम में अपना विशेष प्रभाव भी रखते हैं, जैसे नवरात्रों में गरभा, डांडिया खेलना हो, सामूहिक व्रत और आरतियाँ करना हो आदि । इनमें अब बहुत से मुसलमान धनिक पैसा लगाने लगे हैं और बड़े बड़े उन हिन्दू पंडालों में मुसलमानों की उपस्थिति होने लगी है ।

                  जैसे गरबा डांडिया का आयोजन होगा तो बहुत से मुसलमान युवा उनमें भाग लेंगे, केवल और केवल इस कारण से कि वे हिन्दू लड़कियों के साथ गरबा खेल सकें और उनको पटा सकें । अंधे और बुद्धिहीन हिन्दू परिवार इसे धार्मिक सौहार्द समझकर प्रसन्न होते रहते हैं कि उनके कार्यक्रम में मुस्लिम भाई भी आ रहे हैं, परन्तु क्यों और किसलिए आ रहे हैं ? ये तनिक भी नहीं सोचते । कितनी ही बड़ी बड़ी सोसाइटी वाले गरबा का आयोजन करवाते हैं और कुछ दिन पहले अपनी बेटियों को गरबा सिखाने के लिए डांसर को बुलाते हैं और अब तो मुसलमान लड़के गुजरात के कई जिलों में या बड़े नगरों में गरबा सीखने वाले काम में घुसने लगे हैं ।

             (क्योंकि ये लोग सदा इसी ताक में रहते हैं कि अधिक से अधिक सुंदर सुंदर हिन्दू लड़कियों से सम्पर्क कैसे हो सकता है) इसके इलावा ये मुस्लिम डांस क्लासें भी खोलते हैं जिसमें बेशर्म हिन्दू अपनी लड़कियों को धड़ाधड़ भेज रहे हैं और सत्यानाश करवा रहे हैं ।



लव जिहाद मन्दिरों के बाहर (भाग 8) :- 
                 लगभग हर मन्दिरों के बाहर कुछ दूर आपको छोटी बड़ी मज़ारें या कोई न कोई हरे रंग का पीरखाना मिल जाएगा जिसे देहात की भाषा में कहते हैं "सय्यद बैठा दिया" और इसपर बैठने वाला कोई न कोई तीखी दाढ़ी और मूँछ कटा मुल्ला बैठा होगा और साथ में मन्दिर के बाहर फूल, कलावा, प्रसाद, और अन्य वस्तुएँ बेचने के लिए भी मुसलमान दुकानें लगते हैं ।
       
                और वहाँ मन्दिर के बाहर कुछ युवा भी खड़े होते हैं जो दिखने में पहनावे से हिन्दू लगते हैं, कुछ वहाँ कई मंदिरों में तो ऐसे गेरुआ वस्त्र धारण किये सन्यासी भी दिखाई देते हैं जो वास्तव में मुसलमान बहरूपिए होते हैं, कुछ बिखारी जो मन्दिर के बाहर प्रसाद मांगते हैं उनमें बहुत से बांग्लादेशी मुसलमान भी होते हैं जो पहचान में नहीं आते । इन सबका काम ये ये होता है कि मंदिर में कौन कौन सुन्दर सुंदर हिन्दू लड़कियाँ और महिलाएँ आती हैं ? उन सबपर दृष्टि रखते हैं । आंख मटक्का करके फँसा भी लेते हैं ।

                    आप हिंदुओं के स्वभाव को जानते ही हैं कि इनका मन्दिर में बैठे 33 करोड़ देवी देवताओं के आगे माथा टेककर तो वैसे ही पेट नहीं भरता और इनको माथा टेकने के लिए मज़ारें भी चाहियें तो ये निर्लज्ज हिन्दू महिलाएँ अपनी बेटियों को साथ लेकर मूँह उठाकर मजारों पर भी ऐसी तैसी कराने पहुँच जाती हैं और वहाँ से कई बार तो मुल्ला जी कोई ऐसा पदार्थ प्रसाद में मिलाकर बेहोश कर देते हैं और वहीं पर सक्रिय अपने इस्लामी गुंडों की सहायता से महिला या लड़की को उठाकर कहीं और ले जाते हैं । ऐसे ही कई लड़कियाँ और महिलाएँ सैकड़ों की संख्या में गायब की जाती हैं और फिर सामूहिक बलात्कार करके मार दी जाती हैं ।



लव जिहाद ट्यूशन के द्वारा (भाग 9) :- 
                 पहले बात करते हैं होम ट्यूशन की जिसमें माता पिता बच्चों के लिए कोई न कोई ट्यूटर घर पर बुलाते हैं और अधिक पैसा देते हैं ऐसे में मुस्लिम ट्यूटर हिन्दू घरों में उनकी बेटियों को पढ़ाने के लिए भी घुसने लगे हैं और घर और गली की पूरी रेकी करते हैं । भोली भाली बच्चियों को बहलाकर ये लोग अनेक प्रलोभन देकर वहीं से गायब कर लेते हैं या फिर शोषण करते रहते हैं ।

                  क्योंकि हिन्दू माता पिता तो वैसे ही अंधे होते हैं समाज में उनके आसपास क्या क्या घटनाएँ घट रही हैं उन्हें इससे कोई सरोकार नहीं रहता बस अपनी दाल रोटी से ही मतलब रखते हैं । दूसरी बात करेंगे हम ट्यूशन सेंटर की जिनका संचालन मुसलमान करने लगे हैं और मुसलमान टीचर उसमें ट्यूशन पढ़ाते हैं , वे हिन्दू लड़कियों पर विशेष ध्यान देते हैं और वहाँ पढ़ने आने वाले मुसलमान लड़कों से सांठगांठ करके हिन्दू लड़कियाँ खराब करने में पूरा सहयोग देते हैं।

                  मान लें दो हिन्दू लड़कियाँ मुसलमान बॉयफ्रेंड रखी हैं तो वे दोनों मुस्लिम लड़के अपने तीसरे चौथे दोस्त के लिए भी उनसे कोई और हिन्दू लड़की का जुगाड़ करने को बोलते हैं तो ऐसे में ये लड़कियाँ स्वयं तो खराब होती ही हैं परन्तु औरों को भी अपने साथ खराब करती हैं । ट्यूशन सेंटरों में वैसे ही गर्लफ्रैंड बॉयफ्रेंड होना आम सी बात हो गई है और हर तीसरी चौथी हिन्दू लड़की का बॉयफ्रेंड मुसलमान होता है ।

               यदि उस सेंटर में कोई मुसलमान लड़की पढ़ने भी आती है तो उसपर मुसलमान लड़कों की निगरानी रहती है कि ये किसी हिन्दू से न फंस जाए और उस लड़की को उसका बाप या भाई ही छोड़ने आता है । लेकिन हिन्दू लड़कों के शरीरों में तो वैसे ही खून नहीं बचा जो खौल जाएगा !! इसलिए हिन्दू लड़कियाँ मुसलमानों के साथ घूम रही हों उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता ।



लव जिहाद बॉलीवुड के द्वारा (भाग 10) :- 
                  80 के दशक में पाकिस्तान की ISI की दृष्टि भारत के हिन्दी सिनेमा यानी कि बॉलीवुड पर पड़ी और उसे लगा कि इसके द्वारा भारत की हिन्दू लड़कियों को बड़ी संख्या में बिगाड़ा जा सकता है और मुस्लिम प्रेमी बनाया जा सकता है । इस लिए उन्होंने दाऊद जैसे गुंडों के द्वारा हाजी मस्तान की सहायता से इसमें पैसा लगाना शुरू किया, बड़ी संख्या में इसमें स्क्रिप्ट राइटरों को खरीदा गया और बड़ी बड़ी म्यूजिक कम्पनी में शेयर खरीदे गए और हर क्षेत्र में पाकिस्तान परस्त मुसलमान बिठाए गए जो नहीं बिका वो गुलशन कुमार की तरह मरवा दिया गया ।

                और फिल्मों में भाई बहन के गीतों, भजन आरतियों का स्थान अल्लाह मौला, इश्क मुहब्बत आदि ने ले लिया और जो आज आप हिन्दू लड़कियों में शाहरुख, आमिर, सैफ आदि खानों के प्रति जो क्रेज़ देख रहे हो वो एक ही दिन में नहीं आया है !! इसके लिए बॉलीवुड के मुस्लिम संगठनों ने पूरी मेहनत की है और धीरे धीरे हिन्दू लड़कियों के दिमाग को घुमाया गया है । इसलियव एक मॉडर्न हिन्दू लड़की से आप अपने ही धर्म या संस्कृति पर बात करके देख लो तो वो ऐसे आढ़ा टेढ़ा मुँह बनाकर एटीट्यूड दिखाने लगेगी और खान हीरोज़ आदि का नाम सुनते ही ऐसे रिएक्ट करवेगी जैसे पता नहीं जैसे आपने उसकी नब्ज पकड़ ली हो ।

                        इनमें से अधिक लड़कियों को ये नहीं पता होगा कि श्रीराम जी के पिता जी का नाम क्या था ? बल्कि ये पता होगा कि शाहरुख खान रात को क्या खाता है और कितने बजे सोता है ? यही कारण है कि हर चौथी हिन्दू लड़की मुसलमान लड़के में शाहरुख, आमिर, इमरान को देखने लगी है । स्कूल कालेज में भी देख लें तो हिन्दू लड़कियां अधिकतर फिल्मी स्टोरी या टीवी सीरियलों पर चर्चा करती मिलेंगी । आप ध्यान से देखना एक हिन्दू लड़की अपनी बॉलीवुड की ही काल्पनिक दुनिया में खोई मिलेगी कानों में हैडफोन ठूसकर गाने  सुनती रहेगी और अपने ही विचारों में मस्त अपने आप में हीरोइन बनती रहेगी, स्वयं को एंजल या हॉट बेब समझती मिलेगी ।

             ये बॉलीवुड की गंदगी हजारों हिन्दू लड़कियों को बर्बाद कर चुकी है और इसी से लड़कियाँ मुसलमानों के साथ भाग चुकी हैं । हिन्दू लड़कियों को धर्मपरिवर्तन के बाद अपार कष्ट सहने पड़ते हैं गाय भैंस तथा बकरे के मांस बनाना पड़ता है खाना पड़ता है तथा कभी कभी कई लोगों के साथ सोना पड़ता है जी भरने पर कोठे पर भी कई लड़कियों को बेच दिया जाता है ।

नोट-- इस सन्देश को ज्यादा से ज्यादा शेयर करें.....

हिन्दू परंपरा का त्याग करते गए...


हिन्दुओं को संभलने की जरूरत है !!

1. चोटियां छोड़ी ,
2. टोपी, पगड़ी छोड़ी ,
3. तिलक, चंदन छोड़ा
4. कुर्ता छोड़ा ,धोती छोड़ी ,
5. यज्ञोपवीत छोड़ा ,
6. संध्या वंदन छोड़ा ।
7. रामायण पाठ, गीता पाठ छोड़ा ,
8. महिलाओं, लड़कियों ने साड़ी छोड़ी, बिछिया छोड़े, चूड़ी छोड़ी , दुपट्टा, चुनरी छोड़ी, मांग बिन्दी छोड़ी।
9. पैसे के लिये, बच्चे छोड़े (आया पालती है)
10. संस्कृत छोड़ी, हिन्दी छोड़ी,
11. श्लोक छोड़े, लोरी छोड़ी ।
12. बच्चों के सारे संस्कार (बचपन के) छोड़े ,
13. सुबह शाम मिलने पर राम राम छोड़ी ,
14. पांव लागूं, चरण स्पर्श, पैर छूना छोड़े ,
15. घर परिवार छोड़े (अकेले सुख की चाह में संयुक्त परिवार)।

अब कोई रीति या परंपरा बची है? ऊपर से नीचे तक गौर करो, तुम कहां पर हिन्दू हो, भारतीय हो, सनातनी हो, ब्राह्मण हो, क्षत्रिय हो, वैश्य हो या कुछ और हो कहीं पर भी उंगली रखकर बता दो कि हमारी परंपरा को मैंने ऐसे जीवित रखा है।जिस तरह से हम धीरे धीरे बदल रहे हैं- जल्द ही समाप्त भी हो जाएंगे।

बौद्धों ने कभी सर मुंड़ाना नहीं छोड़ा!
सिक्खों ने भी सदैव पगड़ी का पालन किया!
मुसलमानों ने न दाढ़ी छोड़ी और न ही 5 बार नमाज पढ़ना!
ईसाई भी संडे को चर्च जरूर जाता है!
फिर हिन्दू अपनी पहचान-संस्कारों से क्यों दूर हुआ? 
कहाँ लुप्त हो गयी- गुरुकुल की शिखा, यज्ञ, शस्त्र-शास्त्र, नित्य मंदिर जाने का संस्कार ?
हम अपने संस्कारों से विमुख हुए, इसी कारण हम विलुप्त हो रहे हैं।

अपनी पहचान बनाओ! 
अपने मूल-संस्कारों को अपनाओ!!!
मेरे पास आया और मैंने आगे भेजा। आप भी सभी हिन्दूओं को भेजे व अपने संस्कृति को बचाने में सहयोग करें.... धन्यवाद।

‼️ जय श्री राम ‼️

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