बुधवार, 4 अक्तूबर 2017

जब चला जाऊंगा.....

“तुम करोगे याद एक दिन इस प्यार के ज़माने को,

चले जाएँगे जब हम कभी ना वापस आने को.

करेगा महफ़िल मे जब भी ज़िक्र कोई हमारा,

तो तुम भी तन्हाई ढूंढोगे आँसू बहाने को…”

बुधवार, 20 सितंबर 2017

ना तुम मुझे याद रखो.....


ना तुम मुझे याद रखो
ना मैं तुम्हें याद रखूं

ना तुम मुझे याद रखो
ना मैं तुम्हें याद रखूं

आवो वहां मिल के
महफ़िल सजाते हैं

कल का किसे क्या पता
अरे कल का किसे क्या पता
आओ यही मिल के
खुशियां मानते हैं

शनिवार, 12 अगस्त 2017

चोट....

चोट तो बहुतों ने दी मगर दर्द ना हुवा।
खाई आज ऐसी चोट अपनो से दर्द बेहिसाब हुवा।।

गुरुवार, 22 जून 2017

न जाने....

न जाने कब खर्च हो गए....पता ही न चला..
वो लम्हे, जो छुपा कर रखे थे जीने के लिए ...

रविवार, 11 जून 2017

खुद पर.....

हँसी आने लगी है मुझे खुद पर,
क्या खूबसूरती से बिखरता जा रहा हूँ, मैं...
यूँ तो डूब गया हूँ किनारे पर ही,
फिर लहरों से लड़े जा रहा हूँ.....

लीला की लीला....

लीला शर्मा की फेसबुक पर फ्रेंड रिक्वेस्ट आया >

कुछ दिन पहले मेरे पास फेसबुक पर एक फ्रेंड रिक्वेस्ट आई ।
यह किसी लीला शर्मा के नाम से थी । अमूमन मेरे पास पुरुषों की रिक्वेस्ट तो आती रहती हैं मगर इस बार एक सुकन्या ने रिक्वेस्ट भेजी थी सो चौंकना स्वभाविक था ।
एक्सैप्ट करने से पहले मैने आदतन उसकी प्रोफाइल को चैक किया तो पता चला अभी तक उसकी मित्रता सूची में कोई भी नहीं है। शक हुआ कि कहीं कोई फेक तो नहीं है। फिर सोचा नहीं...., हो सकता है फेसबुक ने इस यूजर को नया मानते हुए इसे मेरे साथ मित्रता करने के लिए suggest किया हो ।
प्रोफाइल फोटो नदारद देखकर मैनें अंदाजा लगाया शायद नई है और उसे फोटो अपलोड करनी नहीं आती या फिर वो संकोची हो सकती है ,anyway मैनें उसे ऐड कर लिया । सबसे पहले उसकी ओर से धन्यवाद आया फिर मेरे हर status को लाईक और कमेंटस मिलने शुरू हो गए ।
मैं अपने इस नए कद्रदान को पाकर बेहद खुश हुआ, सिलसिला आगे बढ़ा और अब मेरी निजी जिंदगी से संबधित कमेंटस आने लगे । मेरी पसंद नापसंद को पूछा जाने लगा । अब वो कुछ रोमांटिक सी शायरी भी पोस्ट करने लगी थी.
एक दिन मोहतरमा ने पूछा : क्या आप अपनी बीवी से प्यार करते हैं ?
मैनें झट से कह दिया : हाँ.
वो चुप हो गई ।
अगले दिन उसने पूछा : क्या आपकी मैडम सुंदर है ?
इस बार भी मैने वही जवाब दिया :हाँ बहुत सुंदर है ।
अगले दिन वो बोली : क्या आपकी बीवी खाना अच्छा बनाती है?
"बहुत ही स्वादिष्ट" मैनें जवाब दिया ।
फिर कुछ दिन तक वो नजर नहीं आई ।
अचानक कल सुबह उसने मैसेज बाक्स में लिखा "मैं आपके शहर में आई हूँ
क्या आप मुझसे मिलना चाहेंगे"
मैनें कहा : श्योर ।
"तो ठीक है आ जाइये मेघदूत गार्डन में मिल भी लेंगे और C-21 माॅल में मूवी भी देख लेंगे" ।
मैनें कहा नहीं- "मैडम आप आ जाइये मेरे घर पर, मेरे बीवी बच्चे आपसे मिलकर खुश होंगे ।
मेरी बीवी के हाथ का खाना भी खाकर देखियेगा ।
बोली : नहीं, मैं आपकी मैडम के सामने नहीं आऊँगी ,आपने आना है तो आ जाओ ।
मैंने उसे अपने यहाँ बुलाने की काफी कोशिश की मगर वो नहीं मानी ।
वो बार बार अपनी पसंद की जगह पर बुलाने की जिद पर अड़ी थी
और मैं उसे अपने यहाँ ।
वो झुंझला उठी और बोली : ठीक है मैं वापिस जा रही हूँ । तुम डरपोक अपने घर पर ही बैठो। मैनें फिर उसे समझाने का प्रयास किया और सार्वजनिक स्थल पर मिलने के खतरे गिनायें पर वो नहीं मानी । हार कर मैंने कह दिया : मुझसे मिलना है तो मेरे परिवार वालों के सामने मिलो नहीं तो अपने घर जाओ ।
वो ऑफलाइन हो गई । शाम को घर पहुँचा,तो डायनिंग टेबल पर लज़ीज खाना सजा हुआ था ।
मैनें पत्नी से पूछा: कोई आ रहा है क्या खाने पर ?
हाँ, लीला शर्मा आ रही है ।
व्हाट !!
वो तुम्हें कहाँ मिली तुम उसे कैसे जानती हो?
"तसल्ली रखिये साहब,
वो लीला मैं ही थी, आप मेरे जासूसी मिशन के दौरान परीक्षा में पास हुए।
आओ मेरे सच्चे हमसफर, खाना खायें, ठंडा हो रहा है।

ना जानें क्युं.....

ना जानें क्युं.....
कुछ दिनों से मैंने कुछ भी लिखा ही नहीं,
ज़िम्मेदारी के आगे मुझे कुछ दिखा ही नही।
अपने शौक को धीरे-धीरे मार रहा हूँ मैं,
जाने क्यों किसी की ज़िद के आगे हार रहा हूँ मैं,
कागज़ पर ही अपने अहसास उतार सकता था मैं,
किसी से बिन कहे सदिया गुज़ार सकता था मैं,
कौन सुनेगा मेरी, यहाँ वक़्त किसके पास हैं?
बस कलम और कागज़, इन्ही से मुझे आस है।
क्यों इनका साथ भी अब मुझसे छूट रहा हैं।
सच कहूं लगता हैं मेरे अंदर कुछ टूट रहा है।
जाने क्युं कोई मुझसे रुठ रहा है।

श्याम...

शुक्रवार, 9 जून 2017

मायावती की बातें......

कुछ सवाल आप सभी से 
सवाल 1. क्या मायावती को मंदिर जाते देखा है ?
सवाल 2. क्या कभी मायावती को साधु संतों से बात करते देखा है ?
सवाल 3. क्या कभी मायावती को आतंकवाद पर बात करते देखा है ?
सवाल 4. क्या कभी मायावती को दलितों के घर जाते देखा है ?
सवाल 5. क्या कभी मायावती को जनता से मिलते देखा है ?
सवाल 6. क्या कभी मायावती को भगवान राम का नाम लेते देखा है ?
सवाल 7. क्या कभी मायावती को हिन्दू धर्म के लिए बोलते देखा है ?
सवाल 8. क्या कभी मायावती को अपना सचिव या डॉक्टर बनाते देखा है ?
सवाल 9. क्या कभी मायावती को दलितों के घर खाना खाते देखा  है ?
सवाल 10. क्या कभी मायावती को कभी राष्ट्रवाद की बात कटे देखा है ?
सवाल 11. क्या कभी मायावती को कांग्रेस के घोटालों पर बोलते देखा है ?
सवाल 12. क्या कभी मायावती को जनरल और ओबीसी पर हुए अत्याचार पर बोलते देखा है ?

शुक्रवार, 12 मई 2017

उसका कहना.....

उसका कहना.....

तुम्हारे साथ रहना अब गवारा नही मुझे।
छोड़ कर चले जाओ इस घर को और मुझे।।

हमारा कहना.....

मेरे साथ रहना यदि अब गवारा नही तुम्हें,
ये घर ही क्या दुनियां ही छोड़ जाऊंगा मैं ।
ना मैं रहूंगा ना मुझसे होने वाली तकलीफे,
खुश रहना तुम अकेले अपनी दुनियां में मेरे बिना ।।

मंगलवार, 14 फ़रवरी 2017

शनिवार, 4 फ़रवरी 2017

गैरहाज़िर कन्धे.....

विश्वास साहब अपने आपको भाग्यशाली मानते थे। कारण यह था कि उनके दोनो पुत्र आई.आई.टी. करने के बाद लगभग एक करोड़ रुपये का वेतन अमेरिका में प्राप्त कर रहे थे। विश्वास साहब जब सेवा निवृत्त हुए तो उनकी इच्छा हुई कि उनका एक पुत्र भारत लौट आए और उनके साथ ही रहे ; परन्तु अमेरिका जाने के बाद कोई पुत्र भारत आने को तैयार नहीं हुआ, उल्टे उन्होंने विश्वास साहब को अमेरिका आकर बसने की सलाह दी। विश्वास साहब अपनी पत्नी भावना के साथ अमेरिका गये ; परन्तु उनका मन वहाँ पर बिल्कुल नहीं लगा और वे भारत लौट आए।

दुर्भाग्य से विश्वास साहब की पत्नी को लकवा हो गया और पत्नी पूर्णत: पति की सेवा पर निर्भर हो गई। प्रात: नित्यकर्म से लेकर खिलाने–पिलाने, दवाई देने आदि का सम्पूर्ण कार्य विश्वास साहब के भरोसे पर था। पत्नी की जुबान भी लकवे के कारण चली गई थी। विश्वास साहब पूर्ण निष्ठा और स्नेह से पति धर्म का निर्वहन कर रहे थे।

एक रात्रि विश्वास साहब ने दवाई वगैरह देकर भावना को सुलाया और स्वयं भी पास लगे हुए पलंग पर सोने चले गए। रात्रि के लगभग दो बजे हार्ट अटैक से विश्वास साहब की मौत हो गई। पत्नी प्रात: 6 बजे जब जागी तो इन्तजार करने लगी कि पति आकर नित्य कर्म से निवृत्त होने मे उसकी मदद करेंगे। इन्तजार करते करते पत्नी को किसी अनिष्ट की आशंका हुई। चूँकि पत्नी स्वयं चलने में असमर्थ थी , उसने अपने आपको पलंग से नीचे गिराया और फिर घसीटते हुए अपने पति के पलंग के पास पहुँची। उसने पति को हिलाया–डुलाया पर कोई हलचल नहीं हुई। पत्नी समझ गई कि विश्वास साहब नहीं रहे। पत्नी की जुबान लकवे के कारण चली गई थी ; अत: किसी को आवाज देकर बुलाना भी पत्नी के वश में नहीं था।

घर पर और कोई सदस्य भी नहीं था। फोन बाहर ड्राइंग रूम मे लगा हुआ था। पत्नी ने पड़ोसी को सूचना देने के लिए घसीटते हुए फोन की तरफ बढ़ना शुरू किया। लगभग चार घण्टे की मशक्कत के बाद वह फोन तक पहुँची और उसने फोन के तार को खींचकर उसे नीचे गिराया। पड़ोसी के नंबर जैसे तैसे लगाये। पड़ौसी भला इंसान था, फोन पर कोई बोल नहीं रहा था, पर फोन आया था, अत: वह समझ गया कि मामला गंभीर है।

उसने आस–पड़ोस के लोगों को सूचना देकर इकट्ठा किया, दरवाजा तोड़कर सभी लोग घर में घुसे। उन्होने देखा -विश्वास साहब पलंग पर मृत पड़े थे तथा पत्नी भावना टेलीफोन के पास मृत पड़ी थी।

पहले विश्वास और फिर भावना की मौत हुई जनाजा दोनों का साथसाथ निकला। पूरा मोहल्ला कंधा दे रहा था परन्तु दो कंधे मौजूद नहीं थे जिसकी माँ–बाप को उम्मीद थी। शायद वे कंधे करोड़ो रुपये की कमाई के भार के साथ अति महत्वकांक्षा से पहले ही दबे हुए थे।

लोग बाग लगाते हैं फल के लिए
औलाद पालते हैं बुढापे के लिए

लेकिन ......

कुछ ही औलाद अपना फर्ज निभा पाते हैं ।।

अति सुन्दर कहा है एक कवि ने....

"मत शिक्षा दो इन बच्चों को चांद- सितारे छूने की।
चांद- सितारे छूने वाले छूमंतर हो जाएंगे।
अगर दे सको, शिक्षा दो तुम इन्हें चरण छू लेने की,
जो मिट्टी से जुङे रहेंगे, रिश्ते वही निभाएंगे....

शनिवार, 7 जनवरी 2017

सिर्फ साल बदला.....



आँखे जो देखती हैं, वो ख़्वाब नहीं बदले
तेरी याद में जो बीते वो दिन रात नहीं बदले

मिलने की आरजू और हसरत भी नहीं बदली
धड़कते हुए दिल की रफ़्तार नहीं बदली

उफनती हुई नदिया की धार नहीं बदली
मन में बसी हुई तेरी तस्वीर नहीं बदली

लोग कहते है कि साल बदला है
मेरे हाथों की लकीर नहीं बदली

उपरवाले ने लिख दी है तहरीर गाढ़ी स्याही से
न मैं बदला न तक़दीर मेरी बदली है

लोकप्रिय पोस्ट