आँखे जो देखती हैं, वो ख़्वाब नहीं बदले
तेरी याद में जो बीते वो दिन रात नहीं बदले
मिलने की आरजू और हसरत भी नहीं बदली
धड़कते हुए दिल की रफ़्तार नहीं बदली
उफनती हुई नदिया की धार नहीं बदली
मन में बसी हुई तेरी तस्वीर नहीं बदली
लोग कहते है कि साल बदला है
मेरे हाथों की लकीर नहीं बदली
उपरवाले ने लिख दी है तहरीर गाढ़ी स्याही से
न मैं बदला न तक़दीर मेरी बदली है
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