हम 17 जवानों की वीरगति से व्यथित होकर बदला लेने जैसी बात करते समय यह ना भूलें कि किसी भी 'जवान' का दूर बैठा परिवार कभी नहीं चाहता कि युद्ध की स्थिति आये , और सम्भव है कि युद्ध में और भी अधिक अप्रिय समाचार सुनने को मिलें ,
इसीलिए ही भावुकता में सरकारें निर्णय नहीं लेती , युद्ध सदैव 'अंतिम विकल्प' होता है ,
तनावपूर्ण स्थिति में भी विवेक से काम लेना 'सुरक्षा बलों' का ही कार्य है आतंकियों का क्या वो तो जिहादी हैं कुत्ते की मौत मरना ही उनकी किस्मत एवं फितरत है , भारतीय जवान हमारी आन बान और शान हैं ....!!
बुद्धिजीविता पर भावुकता को सवार न होने दीजिये .....
जय हिन्द , जय हिन्द की सेना ....
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