शुक्रवार, 23 सितंबर 2022

मैं एक पिता हूँ...


तुम और मैं पति पत्नी थे 
तुम माँ बन गई , मैं पिता रह गया । 
तुमने घर सम्भाला , मैंने कमाई लेकिन 
तुम " माँ के हाथ का खाना " बन गई , 
मैं कमाने वाला पिता रह गया । 

बच्चों को चोट लगी और 
तुमने गले लगाया , मैंने समझाया 
तुम ममतामयी बन गई , मैं पिता रह गया । 
बच्चों ने गलतियां की, 
तुम पक्ष ले कर " understanding Mom " बन गईं और 
मैं " पापा नहीं समझते " वाला पिता रह गया । 

" पापा नाराज होंगे " कह कर तुम बच्चों की 
best friend बन गईं और 
मैं गुस्सा करने वाला पिता रह गया । 
तुम्हारे आंसू में मां का प्यार और 
मेरे छुपे हुए आंसूओं मे मैं निष्ठुर पिता रह गया । 
तुम चण्द्रमा की तरह शीतल बनतीं गईं और 
पता नहीं कब मैं सूर्य की अग्नि सा पिता रह गया । 

तुम धरती माँ , भारत मां और मदर नेचर बनतीं गईं और 
मैं जीवन को प्रारंभ करने का दायित्व लिए सिर्फ 
एक पिता रह गया ।

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