अब आप कहेंगे कि LANCO का क्या फुल फॉर्म होना..? LANCO मतलब LANCO इंफ्राटेक, जिसका दिल्ली गुड़गांव के रजोकरी बॉर्डर पर उद्योग विहार की पॉश जमीन पर ऑफिस है।
LANCO का फुल फॉर्म है, 'L'agadapati 'A'marappa 'N'aidu and 'CO'mpany. अब ये एल. अमरप्पा नायडू कौन है जिनके नाम के शब्दों से ये कंपनी बनी है..? तो साहब, ये लगदापति अमरप्पा नायडू, L. राजगोपाल के बड़े पिताजी है (पिताजी के बड़े भाई), जिसके नाम पर इनके भतीजे राजगोपाल ने वर्ष 1991 में LANCO शुरू की। अब आप पूछेंगे ये राजगोपाल कौन है..??
लगदापति (L) राजगोपाल तत्कालीन संयुक्त आंध्रप्रदेश से एक उद्योगपति और कांग्रेस नेता है, जो मौन-मोहन सिंह के UPA2 में विजयवाड़ा से कांग्रेस सांसद भी रह चुके हैं। राजगोपाल के पास कंपनी के मेजर शेयरहोल्डिंग रही, जबकि उनके भाई मधुसूदन राव कंपनी के चेयरमैन बने। इस पूरी कहानी में याद रखियेगा कि एक जमाने में आंध्रप्रदेश में कांग्रेस का दबदबा होता था। तब YSR रेड्डी कांग्रेस की तरफ से आंध्र के मुख्यमंत्री थे, और तेलुगुदेशम के चंद्रबाबू नायडू चुनाव हारे विपक्ष में बैठे थे। फिर तेलंगाना वाला मूवमेंट हुआ तो राजगोपाल ने राज्य के विभाजन के विरोध में फरवरी14 में संसद से इस्तीफा दे दिया। ये बात और है कि तब तक LANCO को सरकारी बैंकों से 44,000 करोड़ का कर्जा मिल चुका था। जी हां, 44,000 करोड़।
सरकार बदली, चौकीदार आया। उसने कहा, पैसा लौटाना पड़ेगा, नहीं तो हलक में हाथ डाल के निकाल लूंगा। राजगोपाल और मधुसूदन राव को लगा, सेटिंग हो जाएगी, एक जमाने में तूती बोलती थी। पर ऐसा कुछ हुआ नहीं। Insolvency and Bankruptcy Code आया, और सबसे पहले 12 बड़े कॉरपोरेट लोन की बात आई तो राजगोपाल की कंपनी LANCO उसमें से एक थी। आप आज अगर कंपनी की वेबसाइट पर जाकर देखेंगे तो पाएंगे कि जो 44,000 करोड़ बकाया है बैंकों का, उसमें से मोटामोटी 38,000 करोड़ unsecured है, मतलब बिना किसी संपत्ति, बिना किसी गारंटी दिया हुआ है।
एक 10 लाख के होमलोन में भी सारी जमीन के कागज बैंकों के पास रहते हैं, यहां 2004 से 2014 तक lanco को 40,000 करोड़ किसी asset-backed ना होने के बावजूद मिल गए। अब कैसे मिले, ये तो वो बैंक के अधिकारी ही बता पाएंगे जिनको गूंगे प्रधानमंत्री के बोलते मिनिस्टरों से फ़ोन आये। और आज उसी कंपनी का 72 रुपये का शेयर 30 पैसे का हो गया है।
आज की तारीख में LANCO liquidation में हैं, और माल्या, चौकसी की क्या बात करें, ये घर में बैठे 'राज'-गोपालों का पैसा वापस लाना भी मोदी की ही जिम्मेदारी है। बाकी, थोड़ा सा google को कष्ट देंगे तो आपको ये भी पता चल जाएगा कि कैसे Air India के सारे प्रॉफिटेबल रूट और टाइमिंग धीरे धीरे माल्या की किंगफिशर को ट्रांसफर होते गए। Air India बर्बाद होती रही, और माल्या उस पैसे से लंदन में संपत्ति खरीद कैलेंडर बनाता रहा। थोड़ा और गूगलेंगे तो माल्या के पिछली सरकार के उड्डयन मंत्री प्रफ्फुल पटेल के साथ तस्वीर भी मिलेगी, जिसमें सिर्फ 3 लोग - पटेल, शरद पंवार और विदेश मंत्री SM कृष्णा - के लिए एक बड़ा प्लेन चल रहा है, जो बाकी पूरा खाली है। किस तरह से बैंकों का पैसा चमचों ने चोरी का पहला भोग परिवार को चढ़ाते हुए जबरदस्त लूट मचाई, थोड़ा दिमाग लगाने पर सोचने से सिहरन उठ जाती है। आप कोई भी घोटाला उठाएंगे, कहीं ना कहीं कांग्रेस का 'हाथ' दिख ही जायेगा - LANCO इसका प्रत्यक्ष उदाहरण है।
ऐसे में जब खानदानी चोर 'चौकीदार चोर है' का नारा देते हैं तो फिर भी समझ में आता है। यहां सोशल मीडिया पर जब परिवार के चरण-चाटुकारों को ये नारा लगाते देखता हूँ तो सोचता हूँ, इतनी नफरत के लिए कितनी शिद्दत से इन्होंने अपने ज़मीर को मारा होगा।
बाकी, आप सोचिएगा, क्या चौकीदार चोर है..