शुक्रवार, 14 सितंबर 2012
दिशाशुल विचार.........
दिशाशूल क्या होता है ? क्यों बड़े बुजुर्ग तिथि देख कर आने जाने की रोक टोक करते हैं ? आज की युवा पीढ़ी भले हि उन्हें आउटडेटेड कहे ..लेकिन बड़े सदा बड़े ही रहते हैं ..इसलिए आदर करे उनकी बातों का ;
दिशाशूल समझने से पहले हमें दस दिशाओं के विषय में ज्ञान होना आवश्यक है|
हम सबने पढ़ा है कि दिशाएं ४ होती हैं |
१) पूर्व
२) पश्चिम
३) उत्तर
४) दक्षिण
परन्तु जब हम उच्च शिक्षा ग्रहण करते हैं तो ज्ञात होता है कि वास्तव में
दिशाएँ दस होती हैं |
१) पूर्व
२) पश्चिम
३) उत्तर
४) दक्षिण
५) उत्तर - पूर्व
६) उत्तर - पश्चिम
७) दक्षिण – पूर्व
८) दक्षिण – पश्चिम
९) आकाश
१०) पाताल
हमारे सनातन धर्म के ग्रंथो में सदैव १० दिशाओं का ही वर्णन किया गया है,
जैसे हनुमान जी ने युद्ध इतनी आवाज की कि उनकी आवाज दसों दिशाओं में सुनाई
दी | हम यह भी जानते हैं कि प्रत्येक दिशा के देवता होते हैं |
दसों दिशाओं को समझने के पश्चात अब हम बात करते हैं वैदिक ज्योतिष की |
ज्योतिष शब्द “ज्योति” से बना है जिसका भावार्थ होता है “प्रकाश” |
वैदिक ज्योतिष में अत्यंत विस्तृत रूप में मनुष्य के जीवन की हर
परिस्तिथियों से सम्बन्धित विश्लेषण किया गया है कि मनुष्य यदि इसको तनिक
भी समझले तो वह अपने जीवन में उत्पन्न होने वाली बहुत सी समस्याओं से बच
सकता है और अपना जीवन सुखी बना सकता है |
दिशाशूल क्या होता है ? दिशाशूल वह दिशा है जिस तरफ यात्रा नहीं करना
चाहिए | हर दिन किसी एक दिशा की ओर दिशाशूल होता है |
१) सोमवार और शुक्रवार को पूर्व
२) रविवार और शुक्रवार को पश्चिम
३) मंगलवार और बुधवार को उत्तर
४) गुरूवार को दक्षिण
५) सोमवार और गुरूवार को दक्षिण-पूर्व
६) रविवार और शुक्रवार को दक्षिण-पश्चिम
७) मंगलवार को उत्तर-पश्चिम
८) बुधवार और शनिवार को उत्तर-पूर्व
परन्तु यदि एक ही दिन यात्रा करके उसी दिन वापिस आ जाना हो तो ऐसी दशा
में दिशाशूल का विचार नहीं किया जाता है | परन्तु यदि कोई आवश्यक कार्य
हो ओर उसी दिशा की तरफ यात्रा करनी पड़े, जिस दिन वहाँ दिशाशूल हो तो यह
उपाय करके यात्रा कर लेनी चाहिए –
रविवार – दलिया और घी खाकर
सोमवार – दर्पण देख कर
मंगलवार – गुड़ खा कर
बुधवार – तिल, धनिया खा कर
गुरूवार – दही खा कर
शुक्रवार – जौ खा कर
शनिवार – अदरक अथवा उड़द की दाल खा कर
साधारणतया दिशाशूल का इतना विचार नहीं किया जाता परन्तु यदि व्यक्ति के
जीवन का अति महत्वपूर्ण कार्य है तो दिशाशूल का ज्ञान होने से व्यक्ति
मार्ग में आने वाली बाधाओं से बच सकता है | आशा करते हैं कि आपके जीवन
में भी यह गायन उपयोगी सिद्ध होगा तथा आप इसका लाभ उठाकर अपने दैनिक जीवन
में सफलता प्राप्त करेंगे |
हिंदी की पाती......
मेरे नाम पर "हिंदी दिवस" जोर सोर से मनाया जाता है। मेरे प्रचार व प्रशार के लिए बड़े बड़े भाषण दिए जा रहे हैं। सरकारी कार्यालयों में कही हिंदी पखवाडा और कही हिंदी महिना मनाया जा रहा है। मै इससे काफी खुश हूँ........ लेकिन दुःख इस बात का है की मेरा हर दिन हिंदी दिवस की तरह क्यूँ नहीं होता ? आप को मेरी याद केवल एक ही दिन क्यों आती है? आप रोज मुझे याद क्यूँ नहीं करते? स्वतंत्रता प्राप्ति के ६४ वर्षो के पश्चात भी मै आप के दिन चर्या की हिस्सा क्यूँ नहीं बन पाई ?
क्या आप को याद है की आजादी के बाद आप ने ही मुझे देश की राष्ट्र भाषा बनने का गौरव प्रदान किया। पर आज मुझे अपने आस्तित्व को बाचने की चिंता सता रही है। लोगो ने अपने स्वार्थ शिद्धि के लिए मेरा तो उपयोग किया, लेकिन जब मुझे अपनाने की बात आई तब मुंह फेर लिया गया।
हिंदी भाषी फ़िल्में विचारों के अदन प्रदान का एक सशक्त माध्यम रही है, लेकिन मेरे ही माध्यम से लोकप्रियता हासिल करने वाले अभिनेता व अभिनेत्रियों को टीवी पर अपना साक्षात्कार अंग्रेजी में देते है तब मुझे दुःख होता है।
देश के राज नेताओं ने भी मेरा बहुत उपयोग किया, लेकिन मेरे आश्तित्व की रक्षा के लिए कोई सकारात्मक कदम नहीं उठाये। ऐसा नहीं है की लोगो ने मेरा महत्वा को न समझा हो। विश्व के सर्वोच्च मंच पर ( अंतर्राष्ट्रीय संघ की बैठक) श्री अटल बिहारी वाजपेयी जी ने अपना भाषण हिंदी में दे कर मुझे गौरवान्वित किया। क्या ये स्वर्णिम क्षण आप ने भुला दिया। इस लिए मै सभी को याद दिलाना चाहती हूँ की इतनी उपेक्षाओं के बावजूद सबसे ज्यादा बोली जाने वाली और समझी जाने वाली भाषा मै ही हूँ। सारे देश को एक सूत्र में पिरोने वाली भाषा मै ही हूँ।
सारे अवरोधों के बावजूद विश्व में मेरा तीसरा स्थान बना हुवा है। अगर हमारी भारतीय संस्कृत को संमृद्ध बनाना है तो मुझे अपनाना ही होगा। तभी सही मायने में मैं देश की राष्ट्रभाषा बन पाऊँगी।
इन्ही आशाओं और अपेक्षाओं के साथ..........
आपकी अपनी "हिंदी"
सोमवार, 10 सितंबर 2012
कैक्टस घर में ना लगायें..............
**वास्तु शास्त्र के अनुसार घर में केक्टस का पेड़ न लगायें
**वास्तु शास्त्र के अनुसार घर ,दुकान ,फेक्टरी या व्यवसायिक परिसरों में केक्टस का पेड़ लगाने से मना किया जाता है
**केक्टस में कांटे होते हैं और कांटे वाले कोई भी पौधे घर के आसपास में नही होना चाहिए
**जिस घर में कांटे होंगे वहाँ पर रहने वाले लोग एक दुसरे को चुभने वाली बात कहते रहेंगे
**केक्टस मूलतः रेगिस्थान में होता है इसका अर्थ है केक्टस ऐसे स्थान पर होता है जहाँ पर कुछ भी नही होता
**इसलिए केक्टस के पौधे को घर में लगाने से घर उजाड़ हो जायेगा ,घर को रेगिस्तान में बदलते देर नही लगेगी
**केक्टस के पौधे से दूध जैसा सफेद द्रव्य निकलता है और वास्तु शास्त्र में दूध वाले पौधे को लगाने से दोष होता है
**शायद इसी वजह से केक्टस को घर में लगाने से मना किया जाता है
जब तुम पौधा केक्टस का लगाओगे
तो जूही के फूलों की खुशबू
कहाँ से पाओगे..................
By Deonarayan Sharma Vastu Shastri
शुक्रवार, 7 सितंबर 2012
नारियल के प्रयोग.............
हिंदुत्व शंखनाद
जानिए की नारियल के प्रयोग द्वारा केसे करें अपनी सभी परेशानियों का निदान—-
जेसा की आप सभी जानते हें की नारियल एक ऐसी वस्तु है जो कि किसी भी सात्त्विक अनुष्ठान, सात्त्विक पूजा, धार्मिक कृत्यों तथा हरेक मांगलिक कार्यों के लिये सबसे अधिक महत्वपूर्ण सामग्री है. इसकी कुछ विभिन्न विधियों द्वारा हम अपने पारिवारिक, दाम्पत्य तथा आर्थिक परेशानियों से निजात पा सकते हैं. ज्योतिषाचार्य एवं वास्तु विशेषज्ञ पंडित दयानंद शास्त्री के अनुसार
—–घर में किसी भी प्रकार की आर्थिक समस्या हो तो—-
एक नारियल पर चमेली का तेल मिले सिन्दूर से स्वास्तिक का चिन्ह बनायें. कुछ भोग (लड्डू अथवा गुड़ चना) के साथ हनुमान जी के मन्दिर में जाकर उनके चरणों में अर्पित करके ऋणमोचक मंगल स्तोत्र का पाठ करें. तत्काल लाभ प्राप्त होगा.
—यदि कुण्ड़ली में शनि, राहू, केतु की अशुभ दृष्टि, इसकी अशुभ दशा , शनि की ढ़ैया या साढ़े साती चल रही तो-
एक सूखे मेवे वाला नारियल लेकर उस पर मुँह के आकार का एक कट करें. उसमें पाँच रुपये का मेवा और पाँच रुपये की चीनी का बुरादा भर कर ढ़क्कन को बन्द कर दें. पास ही किसी किसी पीपल के पेड़ के नीचे एक हाथ या सवा हाथ गढ्ढ़ा खोदकर उसमें नारियल को स्थापित कर दें. उसे मिट्टी से अच्छे से दबाकर घर चले जायें. ध्यान रखें कि पीछे मुड़कर नही देखना. सभी प्रकार के मानसिक तनाव से छुटकारा मिल जायेगा.
—-यदि आपके व्यापार में लगातार हानि हो रही हो, घाटा रुकने का नाम नही ले रहा हो तो -
गुरुवार के दिन एक नारियल सवा मीटर पीले वस्त्र में लपेटे. एक जोड़ा जनेऊ, सवा पाव मिष्ठान के साथ आस-पास के किसी भी विष्णु मन्दिर में अपने संकल्प के साथ चढ़ा दें. तत्काल ही लाभ प्राप्त होगा. व्यापार चल निकलेगा.
यदि धन का संचय न हो पा रहा हो, परिवार आर्थिक दशा को लेकर चिन्तित हो तो-
शुक्रवार के दिन माता लक्ष्मी के मन्दिर में एक जटावाला नारियल, गुलाब, कमल पुष्प माला, सवा मीटर गुलाबी, सफ़ेद कपड़ा, सवा पाव चमेली, दही, सफ़ेद मिष्ठान एक जोड़ा जनेऊ के साथ माता को अर्पित करें. माँ की कपूर व देसी घी से आरती उतारें तथा श्रीकनकधारास्तोत्र का जाप करें. धन सम्बन्धी समस्या तत्काल समाप्त हो जायेगी.
—–शनि, राहू या केतु जनित कोई समस्या हो, कोई ऊपरी बाधा हो, बनता काम बिगड़ रहा हो, कोई अनजाना भय आपको भयभीत कर रहा हो अथवा ऐसा लग हो कि किसी ने आपके परिवार पर कुछ कर दिया है तो इसके निवारण के लिये-
शनिवार के दिन एक जलदार जटावाला नारियल लेकर उसे काले कपड़े में लपेटें. 100 ग्राम काले तिल, 100 ग्राम उड़द की दाल तथा एक कील के साथ उसे बहते जल में प्रवाहित करें. ऐसा करना बहुत ही लाभकारी होता है
.—–किसी भी प्रकार की बाधा, नजर दोष, किसी भी प्रकार का भयंकर ज्वर, गम्भीर से गम्भीर रोगों की समस्या विशेषकर रक्त सम्बन्धी हो तो-
शनिवार के दिन एक नारियल, लाल कपड़े में लपेटकर उसे अपने ऊपर सात बार उवारें. किसी भी हनुमान मन्दिर में ले जाकर उसे हनुमान जी के चरणों में अर्पित कर दें. इस प्रयोग से तत्काल लाभ होगा.
—-यदि राहू की कोई समस्या हो, तनाव बहुत अधिक रहता हो, क्रोध बहुत अधिक आ रहा हो, बनता काम बिगड़ रहा हो, परेशानियों के कारण नींद न आ रही हो तो-
बुधवार की रात्रि को एक नारियल को अपने पास रखकर सोयें. अगले दिन अर्थात् वीरवार की सुबह वह नारियल कुछ दक्षिणा के साथ गणेश जी के चरणों में अर्पित कर दें. मन्दिर में यथासम्भव 11 या 21 लगाकर दान कर कर दें. हर प्रकार का अमंगल, मंगल में बदल जायेगा
.—–यदि आप किसी गम्भीर आपत्ति में घिर गये हैं. आपको आगे बढ़ने का कोई रास्ता नही दिख रहा हो तो -
दो नारियल, एक चुनरी, कपूर, गूलर के पुष्प की माला से देवी दुर्गा का दुर्गा मंदिर में पूजन करें. एक नारियल चुनरी में लपेट कर (यथासम्भव दक्षिणा के साथ) माता के चरणों में अर्पित कर दें. माता की कपूर से आरती करें. ‘हुं फ़ट्’ बोलकर दूसरा नारियल फ़ोड़कर माता को बलि दें. सभी प्रकार के अनजाने भय तथा शत्रु बाधा से तत्काल लाभ होगा. —
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