आज 1 डॉलर की कीमत लगभग 70 रुपए से भी अधिक है, लेकिन अगर में कहूँ की एक समय एक रुपए की कीमत 13 डॉलर के बराबर हुवा करती थी तो शायद कुछ लोगों को यकीन नही होगा,
भारत में करंसी का इतिहास 2500 साल पुराना हैं। बात सन 1917 की है जब 1 रुपया 13 डॉलर के बराबर हुआ करता था। फिर 1947 में भारत आजाद हुआ, 1 रूपया 1 डॉलर कर दिया गया। आजादी के वक्त देश पर कोई कर्ज नहीं था। 1951 में पहली पंचवर्षीय योजना के लिए सरकार ने कर्ज लिया। 1948 से 1966 के बीच एक डॉलर 4.66 रूपए के आसपास रहा। 1975 में एक डॉलर 8.39 रूपए, 1985 में एक डॉलर 12 रूपए।
1991 में बेतहाशा मंहगाई, विकास दर कम होना और फॉरेन रिर्जव कम होने से एक डॉलर 17.90 रूपए पर पहुंच गया।1993 में एक डॉलर 31.37 रूपए। 2000-2010 के दौरान यह एक डॉलर की कीमत 40-50 रूपए तक पहुंच गई। 2013 में तो यह हद पार हो गई और यही एक डॉलर की कीमत लगभग 70रूपए तक पहुंच गई।
मेरा देश महान था, और सोने की चिड़या भी था लेकिन आज सब महँगाई का रोना रोते है उसकी वजह नही जानते, किसी कांग्रेसी से पूछो की जब देश आजाद हुआ था तब 1रुपये और डॉलर बराबर थे उसके बाद कांग्रेस नें विकास की ऐसी लड़ी लगाई की आज डॉलर रुपए के सर पे जाके बैठा है, कांग्रेस के पास मौका भी था दस्तूर भी लेकिन देश का विकास नही किया किया तो सिर्फ विनाश, वरना नोटेबन्दी जैसा कदम अगर कांग्रेस ने पहले उठा लिया होता तो आज भ्रस्टाचार पर लगाम कस ली होती,
कर्जा लेते रहे, अपनी जेब भरते रहे, विकास के नाम पर जनता का मूर्ख बनाते रहे, और अपने कर्मो का फल आज दिख रहा है तो आरोप मोदी पर लगाते है, में एक सामान्य इंसान हु, और राजनीति करनी मुझे नही आती और कांग्रेस से मुझे सख्त नफरत है और उसका पक्ष लेने वाले के में हमेसा खिलाफ रहूंगा क्योंकि मेरे पास कांग्रेस से नफरत के एक नही हज़ार वजह है।
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