शुक्रवार, 16 दिसंबर 2011

मैं तुम्हें भूल गया हूँ.......

ऐ दोस्त........$........

मैं तुम्हें भूल गया हूँ
या यूँ कहूँ कि तुम्हें याद ही नहीं करता
न जाने क्यूँ दिल ही नहीं करता..........

तुमने भी कोशिश की होगी भूल जाने की मुझे,
याद न आने की मुझे तुम्हारी कोशिश साकार कर रहा हूँ
तुम्हें भूल कर, तुम्हें याद कर रहा हूँ.........

अब तो उम्र भी गुजर गयी, रोज की आदतों की तरह
फिर एक दिन गुजर गया, रोज के रास्तों की तरह
तुम्हें भी न याद किया, खुद की साँसों की तरह .........

रविवार, 11 दिसंबर 2011

कुछ उलझने होती हैं........


कई बार मन मैं कुछ उलझने होती हैं कुछ ख्वाब होते हैं जो हर पल सोते जागते हमारा साथ देते हैं ख्वाब सच हो जाए तो बात ही क्या होती है पर जब ख्वाब सच करने के लिए कुछ निर्णय लेने होते हैं असली मुश्किल तब ही शुरू होती हैं पर ना जाने क्यूं आज मेरा मन बहुत ख़ाली ख़ाली सा लग रहा है जिसे जाना था वो चला गया, जिसे रहना था वो रह गया. हो सकता था सब कुछ जैसे चल रहा था और कई दिन चलता रहता...कुछ दिन क्या आजीवन चलता रहता पर मैं नही चाहता था जीवन में कभी मुड़कर देखना पड़े तो मुझे पछतावा हो मैने कोशिश क्यूं नही की....मैने कोशिश की भी और फिर भी मन मैं कुछ ख़ाली सा है क्या है पता नही... मैं ख़ुश हूँ कुछ ठहर सा गया है मेरे मन में इतनी शांति कहीं कोई आहट नही कभी- कभी डर सा लगने लगता है ज़िंदगी में किसी के साथ होने से हौसला बढ़ता है ना साथ होने से रुकती है ...मैं पूरी तरह आश्वस्त हूँ...... खुश हूँ जो है जितना है....... पर मै बहुत खुश हूँ.........

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