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मंगलवार, 8 सितंबर 2015

यूँ ना रूठे कोई.....

दुश्मन के सितम का खौफ नहीं हमको,
हम तो अपनों के रूठ जाने से डरते हैं…

रविवार, 6 सितंबर 2015

ऐ उम्र.....

ऐ उम्र...
कुछ कहा मैंने, शायद तूने सूना नहीं,
तू छीन सकती है बचपन मेरा,
पर मेरा बचपना नहीं ।

गुरुवार, 3 सितंबर 2015

ये दिन.....

तुम्हें क्या पता हमने कैसे दिन गुजरे हैं
30 रुपये के दहीपुरी की जगह
10 रुपये के वडापाव खाके गुजारे हैं