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मंगलवार, 2 जुलाई 2013

मैं एक कोशिश कर रहा हूँ..............

मैं एक कोशिश कर रहा हूँ सरहदें पाटने की..............
मैं एक कोशिश कर रहा हूँ दूरियां मिटाने की..............
मैं एक कोशिश कर रहा हूँ उस फासले को काटने की..............
मैं एक कोशिश कर रहा हूँ सबको अपना बनाने की..............
मैं एक कोशिश कर रहा हूँ एक खुला आस्मान बनाने की..............
मैं एक कोशिश कर रहा हूँ एक नयी दुनिया बनाने की..............
मैं एक कोशिश कर रहा हूँ  अपना विश्वकर्मा समाज बनाने की..............
मैं कोई ग़ैर नही तुम्हारा अपना ही हूँ..............
बस वक्त ने हमारे बीच यह फासला बो दिया है..............
मुझे मत रोको, मेरे जज्बातों, मेरे ख्यालों, मेरे ख्वाबों को उड़ने दो..............
मैं एक कोशिश कर रहा हूँ..............
बस एक कोशिश.............. " श्याम विश्वकर्मा "

1 टिप्पणी:

Thank you .............