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गुरुवार, 23 मई 2013

अब तो सो जाने दो मुझे..........

अब तो सो जाने दो मुझे.....
पर कम्बखत अकेले नीद नहीं आती.....
जब सुबह उठाना चाहता हूँ.......
तो ये निदिया रानी कहती है सो जाओ.........

रात में सोने नहीं देती है......
सुबह कहती है अभी उठाने का समय नहीं है........
अब क्या करूँ दोस्तों मुझे समझाओ.......
सोऊ या जागूँ कुछ तो उपाय बताओ............

मंगलवार, 21 मई 2013

यादें क्या है?

वो तो दर्पण है अतीत का.......
जब बचपन की यादें आती.......
तो मैं बच्चा बन जाता हूँ.......
माँ के आंचल में खेल रहा हूँ......
जब बहुत याद आता बचपन.....
पुलकित होता मेरा तनमन.......
काश मैं फिर से बच्चा बन जाऊं......
ऐसा कहता है मेरा मन........

सोमवार, 20 मई 2013

दहेज... एक बहुत बड़ी कु प्रथा

दहेज... एक बहुत बड़ी कु प्रथा,
जिसे लोग आज मान सम्मान मानते है,
हमारे हिसाब से भीख से बढ़ कर ही है,
पहले ये बड़े धनि लोग अपनी कन्यां को देते थे,
परन्तु उनकी देखा देखि सभी लोग देने लगे,
ये उचित नहीं है, परन्तु लेने के टाइम लड़के का बाप मांगता है भिखारी की तरह,
और वही बाप गिडगिडाता है देने के समय,
हम उन सभी भाई से निवेदन करते हैं, ना कुछ लो ना कुछ दो,
आप बदलो समाज अपने आप बदलेगा,
सभी बहनों से भी आग्रह करता हूँ की ऐसे दहेज लोभियों का बहिस्कार करो,
आज कन्या का अनुपात कम है, अपने आप लालचियों का लालच कम हो जायेगा,
दहेज मांगना एक प्रकार से भीख मांगना है

रविवार, 19 मई 2013

हँसना भी भूल गए.......

हम  तो हँसना  भी भूल  गए.......
मुश्कारना तो याद ही नहीं रहा..........
तेरे सिवा जीने  का बहना भी याद नहीं रहा.....
बिछड़ कर तेरी यादो में.......
अब जीना भी याद ना रहा......

याद नहीं .............

अब तो याद नहीं वो चेहरा......
भुला ही सही धुंधला सा याद है.....
पर  वो मुश्कान आज भी याद है.......
बिन बात के खुल कर हसना भी याद है........

रविवार, 12 मई 2013

ज़िन्दगी एक सड़क है

ज़िन्दगी एक सड़क है, सुख -दुःख की तड़प है
चलती है ज़िन्दगी, दौड़ती है जिंदगी
भागती है जिंदगी, हारती है जिंदगी
आना है जाना है , खोना है पाना है
हर मोड़ जिंदगी बेजोड़ है, न कोई तोड़ है न जोड़ है

किसकी याद में पागल पल पल रोता है
जिंदगी सड़क है, कुछ मिलता है कुछ खोता है
फुटपाथ पर जिंदगी जो सोता है
महल क्या जाने कितना वो रोता है
सड़क भी नहीं सोता, रात भर रोता है
फुटपाथ के साथ रात भर जगता है

हर सुख दुःख का दर्पण है सड़क
जिंदगी का समर्पण है सड़क
थक चुकी है हार चुकी है,
कुचल चुकी है उलझ चुकी है
फिर भी चलती जा रही है, भागती जा रही है
प्यार के तलाश में एक नए आश में
जिंदगी की सड़क या सड़क की जिंदगी

अनंत है जिंदगी की सड़क,सुख दुःख की तड़प
ना कोई किनारा है ना पड़ाव है, हर पल भगाव है
लड़खड़ा कर गिरती, उठती फिर गिरती
रफ़्तार है जिंदगी लाचार है जिंदगी
बस भागना है सफ़र नापना है
कुछ पाना है और कुछ खोना है
खोया हुआ पड़ाव है सड़क
हर पल नया जुडाव है सड़क
सच योगी जिंदगी एक सड़क है !

यह कविता क्यों ? जिंदगी एक सड़क है सबको भागना है यहाँ से पर जाना कहाँ है नामालूम है सब चले जा रहे हैं सो हम भी चले जा रहे हैं एहसास है क्या पा रहे हैं क्या खो रहे हैं यादों की धुल समेत रहे हैं पर खुद सोचे तो सच जिंदगी एक सड़क है !

शनिवार, 11 मई 2013

माना की......

माना की चाहत बड़ी थी
पर मेरे इंतजार की भी कोई कीमत थी
हम तो आज भी उन रस्ते पे इंतजार करते बैठे है....
कम्बखत ओ तो पहचानने से भी इंकार करते है......

माना की दर्द बहुत है...........

माना  की दर्द  बहुत है जिंदगी में,
यादों से ज्यादा दर्द क्या होगा.....
आप और हम तो जीते हैं देश के लिए .....
हमसे खुश नसीब और  कोई क्या होगा.....

अब तो याद आती है...............

अब तो याद आती है, आ जाने दो उन यादों को,
भूली बिसरी ही सही, अब तो भूल जाने दो.....

माना की आज भूल नहीं पाते  है उसको,
अब यादों में ही सही भूल जाते है उसको......