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शनिवार, 11 मई 2013

माना की......

माना की चाहत बड़ी थी
पर मेरे इंतजार की भी कोई कीमत थी
हम तो आज भी उन रस्ते पे इंतजार करते बैठे है....
कम्बखत ओ तो पहचानने से भी इंकार करते है......

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