कुछ दिन से फुर्सत नहीं रहती कि कुछ सोच सकूँ...... फिर भी जागती आँखों में ही कई सपने पलते हैं....... कौन कहता है की खुली आँखों से सपने नहीं देख सकते हम तो सपनो में भी जागते रहते है.......
दिन इतनी जल्दी बीत जाती है...... रातें क्यूँ नहीं कटती है कोई तो बता दे....... अपने सपने तो पुरे हुवे नहीं अभी........ अबतो बच्चो के सपने भी जुड़ गए......