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शनिवार, 23 मार्च 2013
कुछ दिन से फुर्सत नहीं......
कुछ दिन से फुर्सत नहीं रहती कि कुछ सोच सकूँ......
फिर भी जागती आँखों में ही कई सपने पलते हैं.......
कौन कहता है की खुली आँखों से सपने नहीं देख सकते
हम तो सपनो में भी जागते रहते है.......
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