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गुरुवार, 28 जुलाई 2011

कभी facebook कभी google




मैं आजकल कुछ ऐसे
अपने सायों में छुपा रहता हूँ

न किसी को दिखाई देता हूँ
और न ही आवाज़ों में सुनायी देता हूँ

कल तक जो दोस्त मुझे छोडते न थे
वो अब गलियों में मेरा पता पूछते है
और जो कभी मेरी आँखों में बसा करते थे
वो मुझे कभी facebook पे
और कभी घंटो google पे मुझे ढूंढते रहते हैं

सच में ज़माना बहुत बदल गया है ...

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