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देश प्रेम की बात

देश प्रेम की बात करो मत,
देश प्रेम करके दिखलाओ।
देश-देश मेरा देश कहकर
यूँ हीं ना इतराओ।
करते हो प्यार देश से तो
देश-हित मरकर दिखलाओ।
देश-प्रेम बस!
ग़ुलामी से लड़ना ही नहीं था,
देश-प्रेम बस!
आजादी के गीत गाना ही नहीं था,
देश-प्रेम है तो
देश को बड़ा बनाओ,
देश में नवीनता लाओ,
देश के कण-कण को सजाओ,
देश के जन-जन को जगाओ,
देश में सच्ची देश-प्रेम की लहर फैलाओ,
तभी देश-प्रेम है,
तभी देश-प्रेम है।
भ्रष्टाचार देशद्रोह है,
अत्याचार देश विरोध है,
हिंसा और आतंक
देश के दुश्मन हैं,
स्त्री-अपमान
देश-प्रेम में अड़चन है।
देश-प्रेम की ज्वाला में जलकर ही
देश-प्रेम नहीं होता है!
देश-प्रेम की नदी में डूब उतरना भी
देश-प्रेम होता है।
ऐसे ही बस देश-देश ना दोहराओ,
देश-प्रेम है तो
देश हित जीवन लगाओ।
देश-प्रेम है तो देश की
नदियाँ ना गदलाओ,
पहाड़ ना गिराओ,
पेड़ ना मिटाओ,
देश की हवाएँ ना जलाओ
देश में जागरण करके दिखलाओ।
देश-द्रोही से जुड़ना देशद्रोह है,
देश-लुटेरों से मिलना देश-द्रोह है,
देश-प्रेमी से भिड़ना देशद्रोह है,
देश-धन से पलना देशद्रोह है।
रिश्वतखोरी, सीनाज़ोरी,
स्त्री की इज़्ज़त की चोरी,
कर्त्तव्यों से मोड़ामोड़ी,
अधिकारों की माला जोड़ी,
तो फिर देश-प्रेम की बात करो मत,
इस देश को अपना देश कहो मत।
करते हो प्यार देश से तो
देश की कलाओं को,
देश की ज़फाओं को,
देश की बफ़ाओं को
कभी ना ठहराओ,
तभी देश-प्रेम है,
तभी देश-प्रेम है,
तभी देश-प्रेम है॥