5 जून पर्यावरण दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं.....
मेरा जन्म महाराष्ट्र की एक विशाल हरी भरी नर्सरी में हुआ। इस नर्सरी का माली मेरी बहुत खुशामद करता था।सुबह शाम पानी देना जब आवश्यक हो जैविक खाद देशी खाद का पोषण मिलता था। शेशवस्था में भरपूर पोषण मिलने से में काफी तंदुरुस्त हो चुका था। समय तेजी से गुजरने लगा कि अचानक जीवन मे ऐसा तूफान आया कि में और मेरे जैसे करोड़ों पौधों को नाशिक की संस्थाओं ने ख़रीद लिया और 5 जुलाई 2015 को माँ गोदावरी के अंचल में बसे नाशिक जिलों में सभी जगह भेजे गए। और यही वो तारीख थी कि सांसद, विधायक, नगरसेवक बहुत सारी संस्था के पदाधिकारियों ने एक साथ मिलकर 12 घण्टे में पौधे लगाने का एक नया रिकार्ड तो बना लिया पर मुझे और मेरे करोड़ों भाइयों को लावारिस कर दिया। हम लोगों की देखभाल की कोई विशेष योजना न होना और प्रदेश में व्याप्त जल संकट से मेरे लाखों भाई दम तोड़ चुके हैं और बाकी कुछ को छोड़कर जो किसी खास नेता मंत्री द्वारा स्थापित किये गये थे अंतिम सांसे गिन रहे हैं।मानसून आने में काफी समय है हो सकता है ये मेरी आत्मकथा कब मेरी अंतिम कथा बन जाये इसलिए हो सके तो आप सब खुद ही मेरे भाई बहनों को बचाना जिससे आपकी आने वाली पीढ़ी का जीवन मंगलमय हो।
जय हिंद जय भारत।
( पेड़ लगाने के पश्चात 2 वर्ष तक देखभाल की जिम्मेदारी भी लें। श्री विश्वकर्मा चैरिटेबल ट्रस्ट के तरफ से लगाये गए सभी वृक्षों की देखभाल हर हप्ते किया जाता है। )
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