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सोमवार, 30 अप्रैल 2018

वक्त को बढ़ते देखा…

कभी-कभी मुझे ऐसा लगता है जरुरत की सभी चीजें हमारी उम्र के हिसाब से शुरू होती चली गईं, हमने सिर्फ १९वी सदी को २०वीं सदी में बदलते ही नहीं देखा है बल्कि इस समय में होने वाले बदलावों को खुले दिल से अपनाया भी है....

हमारा सफ़र टीवी के एकमात्र चैनल डीडी १ से शुरू होकर आज डिश टीवी के ५०० चैनलों तक पंहुचा है,......
अपट्रान की ब्लैक एन्ड व्हाईट टीवी का सफ़र आज स्मार्ट टीवी तक पहुच गया है .....
मोबाइल में नोकिया ११०० से शुरू होकर आज एक से बढ़कर एक स्मार्टफोन्स तक पहुच गया है, .......
क्रिकेट मैच राहुल द्रविड़ की टेस्ट पारी से शुरू होकर युवी के १२ गेंद में हाफसेंचुरी तक पहुँच गयी है, .....
हमने टेप वाले कैसेट से लेकर वी सी आर, वाकमैन, सीडी, डीवीडी , पेन ड्राईव से होते हुए मेमोरी कार्ड का सफ़र तय किया है ....

कुल मिलाकर कहने का मतलब है कि हमने वक्त को बदलते हुए देखा … वक्त को बढ़ते देखा… वक्त को खुद के साथ जवान होते देखा और सिर्फ देखा ही नहीं है बल्कि दिल खोलकर जीया है ...!!

शुक्रवार, 27 अप्रैल 2018

बन्द कर दो डाकखाने....

बन्द कर दो  डाकखाने

अब चिट्ठी नही आती

किसी के हाथ की खुश्बू

स्याही में नहीं आती

ख्वाबों और खयालों की

अब बारिश नही होती

संग जीने और मरने की

वो कसमे अब नही होती

भींगे लफ्ज की सिहरन

दिलों में अब नही होती

पन्नो में तड़फते अश्क़ की

अब बूंदें नहीं गिरती

वो मिलने की बिछड़ने की

तारीखें तय नही होती

गली में डाकिया आने की

अब खबरें नही होती

मैंने.....

एक ही दिन में कैसे पढ़ लोगे तुम मुझे......

मैंने ख़ुद को लिखने में ही कई साल लगायें हैं.....

निशब्द.....

कभी ख़ामोशी बोल गई,
  कभी शब्द नि:शब्द कर गए,

कभी कोई बात चुभ गई,
  कभी बात न होना चुभ गया!