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सोमवार, 27 जुलाई 2015

भगवान तो है सिर्फ देखो.....

कौन कहता है की भगवान् नहीं हैं
सिर्फ देखने का नजरिया चाहिए
हमने तो एक इंसान में भगवान् देखा है
जिसने हर कदम पर मुझ गिरते हुवे को संभाला है।

मंगलवार, 21 जुलाई 2015

ऊँचा पद.....









यूँ ही खीच तान में जब बिखर गया समाज
बड़ा पद हमको चाहिए पर करना नहीं कुछ काम
करना नहीं है कुछ काम पर पद बड़ा ही चाहिए....$.
झूठे दिखावे की चाह में बनगया और एक समाज
जब बनायेंगे एक नया समाज
उसमें ऊँचा होगा मेरा नाम....$.
एसा करते करते कितना बनेगा समाज
लोगों में भ्रम होगया अब कौन करेगा बढियां काम.....

गुरुवार, 9 जुलाई 2015

हार गया हूँ.....

प्रियवर तुमसे हार गया हूं ,
नेह नदी के पार गया हूं ।
जब जब मैंने प्यार किया हैं ,
आशाओं से मार गया हूं ॥

देखा था मैंने इक सपना ,
मानूंगा तुमको मैं अपना ।
झंझावत में पड़ अपनों से ,
छुप कर तेरे द्वार गया हूं ।।

प्रियवर तुमसे हार गया हूं ,
नेह नदी के पार गया हूं ।

पागल मन को बहुत मनाया ,
फिर भी उसकी समझ न आया ।
मन मितवा से घड़ी मिलन की ,
बातों मे मैं टार गया हूं ।।

प्रियवर तुमसे हार गया हूं ,
नेह नदी के पार गया हूं ।।

आखें तुम बिन बनीं बदरिया ,
ढ़ूढ़ रहीं वो अपना संवरिया ।
मीन पिआसी जल मे रह कर ,
“प्रखर” विरह मे जार गया हूं ।।

प्रियवर तुमसे हार गया हूं ,
नेह नदी के पार गया हूं ।। ***

बुधवार, 8 जुलाई 2015

समय

🕛🕛🕛🕛🕛🕛🕛🕛
बहुत खुश किस्मत होते है वे लोग
जिन्हें "समय"
और "समझ" एक साथ मिलती है,
क्योंकी अक्सर "समय" पर "समझ" नही आती
और जब "समझ" आती है तो "समय" हात से
निकल जाता है...!!