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गुरुवार, 28 मई 2015

ऐ मौत.....


बहुत रुलाया है इन बेवफा लोगो ने...
ऐ मौत...अगर तुम साथ दो,
तो सबको रुलाने का इरादा है मेरा....!

खामोश आँखें......


वो तो आँखें थी मेरी जो सब सच बयां कर गयी ।
वरना लफ्ज होते तो कब के मुकर गए होते....!

बुधवार, 20 मई 2015

आजकल राख से जल जाता हूँ......

रोज गिरता हूँ ,सँभल जाता हूँ.... वक्त के साथ बदल जाता हूँ.... भीड काफी है उनकी महेफिल में..... चल किसी ओर निकल जाता हूँ..... तुम बिना बात खौफ खाते हो..... जाने क्यों मैं भी दहल जाता हूँ ..... यार तुम कल सवाल कर लेना..... आज कुछ देर को टल जाता हूँ..... कल सुबह होगी लोग कहते हैं..... रोज सुनता हूँ बहल जाता हूँ..... आग तो आग है ,न जाने क्यों...... आजकल राख से जल जाता हूँ...... आजकल राख से जल जाता हूँ......

कैसे करूँ माँ बखान......



एक मित्र ने कहा ~ ~ माँ के बारे में .. करो कुछ बखान ..
पर क्यों लिखूँ .. और क्यों करूँ .. माँ की महिमा का बखान .. !!
इस पृथ्वी पर .. कौन है ऐसा .. जो है .. माँ की महानता से अंजान ..
और फिर माँ ~ माँ की ममता ~ तो होती है ~ इतनी महान ..
शब्दों में .. किया जा सके चित्रण .. शब्दों की कहाँ है इतनी उङान ..!!
हर प्राणी की .. जीवन से .. जगत से .. करवाती है जो पहचान ..
हर प्राणी के होने में .. अस्तित्व में .. जिसका होता है सर्वाधिक योगदान ..
हिमालय के उत्तुंग शिखर सी .. होती है उच्च .. जिस माँ की शान ..
छोटे छोटे पंख वाले शब्दों के पंछी .. कैसे करवाये उस शिखर का भान .. !!
वो माँ ~ जो अपनी संतान के मंगल का .. सदा चाहती है वरदान ..
वो माँ ~ जो अपनी ममता का आँचल .. सदा ही रखती है तान ..
वो माँ ~ जो संतान को .. अमृत भी पिलाये .. तो पहले लेती है छान ..
वो माँ ~ जो सभी संतानों को .. बिना फर्क के .. रखती है एक समान ..
वो माँ ~ जो अपना सुख चैन .. कर देती है संतान के लिये कुर्बान ..
वो माँ ~ जो सदा चाहती है .. कि उसकी संतान हो महान .. गुणवान .. !!
ओ माँ ~ मेरे हृदय में .. सदा ही है तेरा ~ ~ ईश्वर तुल्य स्थान ..
ओ माँ ~ तू ही बता .. मेरी लेखनी .. कैसे करे माँ की महिमा का बखान .. !!

कुछ देर रूको तो सही.....

कुछ देर रूको तो सही आ रहा हूँ मैं.....
बस एक नया रास्ता बना रहा हूँ मैं.....

एक पंख टूट गया था, तितली का.....
बस उसी पर मरहम लगा रहा हूँ मैं.....

रविवार, 17 मई 2015

बड़े सपने.....

बड़े सपनों को पाने वालेहर व्यक्ति को सफलता के कई पड़ावों से गुजरना पड़ता है।"-
पहले लोग मजाक उड़ाऐंगे,-
फिर लोग साथ छोडेगे,-
फिर विरोध करेंगे,-
फिर वही लोग कहेंगे कि
हम तो पहले से ही जानते थे कि एक न एक दिन तुम कुछ बड़ा करोगे...

जंजीर क्या डराएँगी......

बिखरती इन हवाओं को कोई जंजीर क्या डराएँगी
जिसकी यारी हैं मौत से, उसे तकदीर क्या डराएँगी.....

वाकीफ हूँ मैं वक्त की इस बदलती फितरत से
ये धूप-छाँव सी जिंदगी की तस्वीर क्या डराएँगी......


रह रह के दिल.....


रह रह के दिल भी अब यहीं सोचता रहता हैं
क्या हैं जो दिन रात इसे बस नोचता रहता हैं।

खाली कुआ भी हैरानी से प्यासे को देखता हैं
जब उम्मीद लिए बाल्टी वो खींचता रहता हैं।

जुबान झूठी होकर भी आँखे जवाब दे देती हैं
अपने बारे में कोई, जब हाल पुंछता रहता हैं।

मुकद्दर जैसे हैवानियत का दूसरा नाम हैं
जो जख्मों को बार बार खरोचता रहता हैं।

शनिवार, 9 मई 2015

विश्वकर्मा वंशीय समाज जन जागृति अभियान २०१५

विश्वकर्मा वंशीय समाज जन जागृति अभियान २०१५
मित्रों ३ मई से लेकर ३ जून तक पुरे एक महीने तक श्री विश्वकर्मा रथ यात्रा ( महाराष्ट्र ) 30 जिला, 56 (तालूके) तहसील,100 शहर व 4000 किलो मीटर का यात्रा का आयोजन किया गया हैं अतः सभी समाज के बंधुओं और पुरे महाराष्ट्र मे कार्यरत संस्थाओं से नम्र निवेदन है की इस ऐतिहासिक रथयात्रा में लाखो की संख्या में पहुँच कर अपनी उपस्तिथि दर्ज कराएँ और कार्यक्रम को सफल बनाने मे अपना सहयोग प्रदान करे..........

रथ यात्रा प्रारम्भ :- 
03/05/15 परभणी
03/05/15 उस्मानाबाद
04/05/15 पंढरपुर
05/05/15 सातारा
06/05/15 इस्लामपुर
07/05/15 कोल्हापुर
08/05/15 अम्बोली
09/05/15 सिंधुदुर्ग
10/05/15 रत्नागिरी
11/05/15 महाड
12/05/15 पनवेल
12/05/15 मुंबई ( वाशी )
13/05/15 आळंदी ( पुणे )
14/05/15 संगमनेर
15/05/15 नाशिक
16/05/15 सटाणा
17/05/15 धुळे
18/05/15 जळगांव
19/05/15 अकोला
20/05/15 अमरावती
21 & 22/05/15 नागपूर
23/05/15 चंद्रपूर
24/05/15 वणी
25/05/15 उमरखेड
26/05/15 वाशिम
27/05/15 मोहकर
28/05/15 लोणार
29/05/15 मंठा
30/05/15 जालन
31/05/15 से 02/06/15 औरंगाबाद
03/06/15 वेरूळ यात्रा समापन और
श्री विश्वकर्मा जी की प्राण प्रतिष्ठा