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बुधवार, 28 सितंबर 2011

ऐ दोस्त...........


जाने क्यों आज तेरी , याद मुझे आती है.......
तुझसे मिलने की तड़फ , दिल में वो उठाती है.......
जख्म तूने जो दिए , सब भर गए तेरे बिना.......
फिर नए किसी दर्द की , चाह मन में आती है.......
जब दोस्ती तुमसे पुरानी , कैसे जख्म कोई और दे.......
घाव जब तूने दिया , कैसे कोई गैर उसे कुरेद दे.......
तुम भले ही भूल जाओ , दोस्ती अपनी पुरानी.......
मै भुला सकता नहीं , दोस्ती की ये कहानी.......

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