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रविवार, 10 जुलाई 2011

जन लोकपाल बिल


अन्ना हजारे का प्रयास कितना सफल होगा या असफल यह विषय कुछ तार्किक लोगों के संवाद का हो सकता है परन्तु यह निश्चित है कि हर चीज की इन्तहा होती है,भ्रष्टाचार भी अब अपने चरम पर है इसलिए घटना तो इसको भी पड़ेगा ही. आज अन्ना हजारे ने एक नई शुरुवात की है,कोई भी भारत में ऐसा व्यक्ति नही है जो इस भ्रष्टाचार का शिकार नही हुआ हो. बस लड़ने का साहस नही है, फिर डरना किस्से ! अभी कौन से जिन्दा हो जो मर जाओगे,इसलिए मुर्दे में जान फूंकना है . देश की तरक्की अपने स्वयं के हाथ में है,और जब अपने हाथ भ्रष्टाचारियों से कटवा दोगे तो लड़ोगे कैसे? इसलिए अपने हाथ से दूसरे का फिर तीसरे का हाथ पकड़ कर हाथों की जंजीर बनाकर भ्रष्टाचार से लड़ना पड़ेगा. निश्चित मानिए सुनहरा भारत का उदय होना है देर हम कर रहे हैं. इसलिए जागो ! बहुत सो लिए! जागो वरना सोते ही रह जाओगे..........

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