आधी बात कही थी तुमने
और आधी मैने भी जोड़ी
तब जाकर बनी तस्वीर
सच्ची-झूठी थोड़ी-थोड़ी
नटखट सी बातों के पीछे
दुनिया भर का प्यार छुपा
मुस्काती आँखो ने भी
जाने कितने स्वप्न दिखा
लूटा था भोला-सा बचपन
और मिला जब
पहला-पहला खत तुम्हारा
तुड़ा-मुड़ा, कुछ भीगा-भागा
भोर के स्वप्न सा
आधा सोया, आधा जागा
कैसे तुमने ओ लुटेरे
दिल को चुराया चुपके से
न दस्तक न आहट ही
दिल में मचाया शोर
चुपके से..
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
Thank you .............