बेटा /बेटी के होने पर
नारी माँ का दर्जा पा जाती है.
फिर सारे जीवन भर उनपर
ममता -रस बरसाती है ,
शोर शराबों वाले घर में
चुप होकर सब कह जाती है
कर त्याग तपस्या परिवार में
मां मौन साधिका बन जाती है
लगे भूख जब बच्चों को मां
सब्जी -रोटी बन जाती है
धूप लगी जो बच्चों को
मां छांव सुहानी हो जाती है .
ग़र मर भी जाए तो
हर मूरत में नज़र जाती है
झूठ -फरेब की दुनिया में
मां बडी जरूरत बन जाती है.
मां जीवन में ही समग्र
चेतन परमेश्वर बन जाती है
मां के अलावा कहीं ना मिलता
तभी तो ईश्वर कह्लाती है.