इतना तो करना स्वामी, जब प्राण तन से निकले
गोविन्द नाम लेके, तब प्राण तन से निकले,
श्री गंगाजी का तट हो, जमुना का वंशीवट हो,
मेरा सावला निकट हो, जब प्राण तन से निकले
पीताम्बरी कसी हो, छबी मान में यह बसी हो,
होठो पे कुछ हसी हो, जब प्राण तन से निकले
जब कंठ प्राण आये, कोई रोग ना सताये (२)
यम् दरश ना दिखाए, जब प्राण तन से निकले
उस वक्त जल्दी आना, नहीं श्याम भूल जाना,(२)
राधे को साथ लाना, जब प्राण तन से निकले,
एक भक्त की है अर्जी, खुद गरज की है गरजी
आगे तुम्हारी मर्जी जब प्राण तन से निकले
इतना to करना साई, जब प्राण तन से निकले